9 Elephants Died In Bandhavgarh: उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मरने वाली हाथियों की संख्या अब 10 हो गई है। गुरुवार शाम दसवां हाथी जंगल में बेहोश होकर गिर पड़ा। आपको बता दें कि टाइगर रिजर्व की टीम इस हाथी की निगरानी कर रही थी। इसे बुधवार को ही जंगल में छोड़ा गया था।
इधर लगातार हो रही हाथी की मौत के बाद टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी एक्शन में है। प्रबंधन ने घटनास्थल के आसपास ट्रैक्टर चलवा कर कोदो-कुटकी की फसल को जला दिया है।
एसआईटी करेगी जांच
ये मामला केंद्र सरकार तक पहुंच गया है। वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली ने जांच के लिए SIT बनाई है। हाथियों को जहर देने की आशंका जताई जा रही है। हाथियों को जहर किसने और कैसे दिया इसकी जांच SIT करेगी। टीम गुरुवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंची है।
5 संदिग्ध गिरफ्तार
स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने बुधवार को डॉग स्क्वॉड की मदद से 7 खेतों और 7 घरों की तलाशी की। 5 संदिग्ध लोगों को अरेस्ट करके पूछताछ की जा रही है। नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी के सेंट्रल जोन के AIG नंदकिशोर काले अपनी टीम के साथ बांधवगढ़ पहुंच गए हैं। मध्यप्रदेश के मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक विजय अंबाडे ने भी प्रदेश सरकार के निर्देश पर 5 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है।
हाथियों को किसने दिया जहर ?
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की इन्वेस्टिगेटिव टीम के हैड PCCF एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि शिकार और जहर देने के पहलुओं पर जांच चल रही है। इससे पता चलेगा कि हाथियों को जहर किसने और कैसे दिया। क्या जहर जानबूझकर दिया गया या फसलों के कीटनाशक के कारण हाथियों की जान गई। बुधवार शाम तक 6 हाथियों का पोस्टमार्टम किया जा चुका था। एक हाथी का सैंपल जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक और हेल्थ में भेजा गया है।
रिसोर्ट संचालकों पर शक
वन विभाग को रिसोर्ट संचालकों पर भी शक है। हालांकि अभी कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन इसकी आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इससे पहले इस इलाके में हाथियों से जुड़े क्या-क्या मामले हुए हैं इनका भी पता लगाया जा रहा है। 5 किलोमीटर के दायरे में आने-जाने वालों का रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है।
शिकार की आशंका
वन विभाग के स्पेशलिस्ट बताते हैं कि नर हाथियों का शिकार उनके दांतों के लिए किया जाता है। मादा हाथी के दांत नहीं होते। मृत हाथियों में एक ही नर है और 7 मादा हैं। इसलिए शिकार की आशंका कम ही है, फिर भी शिकारी नेटवर्कों की एक्टिविटी का भी पता लगाया जा रहा है।
क्या फसलों के कीटनाशक से गई जान ?
मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कोदो और धान की खेती होती है। अभी तक वहां ऐसा कोई केस सामने नहीं आया है। घटनास्थल से 5 किलोमीटर के दायरे में जहां-जहां वन्यजीवों ने फसलों नुकसान पहुंचाया है, उनके सैंपल लेकर फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजे जा रहे हैं। तालाबों के पानी की जांच के लिए सैंपल लैब भेजे गए हैं।
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पूर्व केंद्रीय वन मंत्री ने की जांच की मांग
पूर्व केंद्रीय वन मंत्री जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से फौरन इस मामले में जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि बांधवगढ़ में एक झटके में हाथियों की आबादी 10 प्रतिशत कम हो गई है। बांधवगढ़ में अभी 70 से 80 जंगली हाथी रह रहे हैं।
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