Govt Employees Salary Issue: प्रदेश के नवनियुक्त कर्मचारी 100 फीसदी वेतन के लिए मोर्चा खोले हुए है। अपने अधिकारों के लिए कर्मचारियों की लड़ाई अभी भी जारी है।
कर्मचारियों ने कई जिलों में कलेक्टर को सीएम के नाम ज्ञापन देकर शासन से पूछा है कि जब हमसे काम राज्य के अन्य कर्मचारियों की तरह पूरा लिया जा रहा है तो वेतन क्यों अधूरा दिया जा रहा है।
शिक्षक संघ ने कई जिलों में सौंपे ज्ञापन
प्राथमिक माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।
अभी लड़ाई जारी है: 100 फीसदी वेतन के लिए कर्मचारियों ने प्रदेशभर में सौंपे ज्ञापन, शासन से पूछा- काम पूरा तो वेतन क्यों अधूरा?@DrMohanYadav51 @GADdeptmp @NEYU4MP @MPYuvaShakti #मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो #MPNews
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) August 22, 2024
10 सूत्रीय मांगों में प्रमुख मांग 100% वेतन की ही है। ज्ञापन श्योपुर, उज्जैन, निवाड़ी, इंदौर, उज्जैन, छतरपुर और बालाघाट सहित अन्य जिलों में सौंपे गए हैं।
शिक्षकों की स्वीकृति के बाद मूल विभाग में हो मर्ज
शिक्षक संघ ने मांग की है कि जनजातीय कार्य विभाग से शिक्षा विभाग व शिक्षा विभाग से जनजातीय कार्य विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे शिक्षकों को उनकी स्वीकृति उपरांत उसी विभाग में मर्ज किया जाए।
शिक्षक संघ की है ये प्रमुख मांगे
1. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को केन्द्र के समान वेतनमान प्रदान किया जाए।
2. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को कैशलेस हैल्थ कार्ड प्रदान किया जाए।
3. मुख्यमंत्री की घोषणा अनुरूप गुरूजियों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता प्रदान की जाए।
4. मध्यप्रदेश के शिक्षकों को 2018 के स्थान पर उनकी नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता प्रदान की जाए।
5. नवीन भर्ती शिक्षकों को 100 प्रतिशत वेतन भुगतान के साथ-साथ परिवीक्षा अवधि 02 वर्ष की जाए।
6. कर्मचारियों को वापस पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए।
7. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के डीए में वृद्धि की जाए।
8. अनुकम्पा नियुक्ति में पात्रता परीक्षा व व्यावसायिक योग्यता की अनिवार्यता को शिथिल किया जाए।
अब पहले विवादित नियम समझ लें
अब पहले वह विवादित नियम समझ लीजिए, जिसे लेकर नवनियुक्त कर्मचारियों में आक्रोश है। दरअसल 2018 तक प्रदेश में नवनियुक्त कर्मचारियों को ज्वाइनिंग के पहले दिन से ही पूरी सैलरी मिलती थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार ने इसमें बदलाव किया।
2019 के नये नियम के अनुसार अब नव नियुक्त कर्मचारी को अपनी ज्वाइनिंग के पहले साल सैलरी का 70%, दूसरे साल 80% और तीसरे साल 90% सैलरी ही मिलती है। यानी जिस सैलरी (MP Govt Employees Salary) पर कर्मचारी की नियुक्ति होती है, वह उसे पूरी चौथे साल में मिलती है।
कर्मचारी-कर्मचारी में भी अंतर
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये दो एजेंसियां काम कर रही है। पहली मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी MPPSC और दूसरी कर्मचारी चयन मंडल (ESB) जिसे व्यापमं के नाम से भी जाना जाता है।
2019 में टुकड़ों टुकड़ों में मिलने वाली सैलरी का बनाया गया नया नियम सिर्फ ईएसबी के माध्यम से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों पर ही लागू है। एमपीपीएससी के माध्यम से भर्ती होने वाला कर्मचारी नियुक्ति के पहले दिन से पूरी सैलरी लेने की पात्रता रखता है।
वर्तमान पॉलिसी से कर्मचारियों को ये नुकसान
2019 में बनी पॉलिसी में कर्मचारियों को बेसिक सैलरी में तो नुकसान है ही, लेकिन महंगाई भत्ता भी इसी के आधार पर तय होता है।
पूरी सैलरी नहीं मिलने से महंगाई भत्ता भी कम मिल रहा है। जिससे नव नियुक्त कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ रही है।