Govt Employees Salary Issue: प्रदेश के नवनियुक्त कर्मचारी 100 फीसदी वेतन के लिए मोर्चा खोले हुए है। अपने अधिकारों के लिए कर्मचारियों की लड़ाई अभी भी जारी है।
1 सितंबर, रविवार सुबह 10 बजे से मध्य प्रदेश के हजारों नवनियुक्त कर्मचारियों ने अपनी मांग जिम्मेदारों के कानों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल प्रोटेस्ट किया।
कर्मचारियों ने सरकार से पूछा है कि जब हमसे काम राज्य के अन्य कर्मचारियों की तरह पूरा लिया जा रहा है तो वेतन क्यों अधूरा दिया जा रहा है?
हैशटेग वी डिमांड फुल सैलरी एमपी के साथ हजारों पोस्ट
एमपी के हजारों नवनियुक्त कर्मचारियों ने रविवार सुबह 10 बजे से इस डिजिटल प्रोस्टेट में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कुछ ही समय में #We_Demand_Full_Salary_mp को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर हजारों पोस्ट हुई।
बता दें कि इससे पहले भी नवनियुक्त कर्मचारियों ने 11 अगस्त को डिजिटल प्रोटेस्ट किया था, जिसमें #मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो ट्रेंड भी किया था।
पूरी सैलरी के लिए कर्मचारी खोले हुए हैं मोर्चा
11 अगस्त को सोशल मीडिया पर #मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो ट्रेंड कराया।
17 अगस्त को नवनियुक्त कर्मचारियों ने माननियों के घरों पर चिट्ठियां पोस्ट की।
22 अगस्त को जिला मुख्यालयों पर 100% सैलरी के लिए सीएम के नाम ज्ञापन दिये गए।
नवनियुक्त कर्मचारियों की ये प्रमुख मांग
1. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को केन्द्र के समान वेतनमान प्रदान किया जाए।
2. नवनियुक्त कर्मचारियों को 100% वेतन भुगतान के साथ परिवीक्षा अवधि 02 वर्ष की जाए।
3. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के डीए में वृद्धि कर उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए।
ये है एमपी का विवादित नियम
साल 2018 तक प्रदेश में नवनियुक्त कर्मचारियों को ज्वाइनिंग के पहले दिन से ही पूरी सैलरी मिलती थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार ने इसमें बदलाव किया।
डिजिटल प्रोटेस्ट: नवनियुक्त कर्मचारियों ने सोशल मीडिया हैंडल पर हैशटेग वी डिमांड फुल सैलरी एमपी के साथ की पोस्ट, सरकार से पूछा- काम पूरा तो वेतन क्यों अधूरा#We_Demand_Full_Salary_mp #मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो #MPNews @CMMadhyaPradesh @UmangSinghar @GADdeptmp
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 1, 2024
2019 के नये नियम के अनुसार अब नव नियुक्त कर्मचारी को अपनी ज्वाइनिंग के पहले साल सैलरी का 70%, दूसरे साल 80% और तीसरे साल 90% सैलरी ही मिलती है। यानी जिस सैलरी (MP Govt Employees Salary) पर कर्मचारी की नियुक्ति होती है, वह उसे पूरी चौथे साल में मिलती है।
कर्मचारी-कर्मचारी में भी अंतर
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये दो एजेंसियां काम कर रही है। पहली मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी MPPSC और दूसरी कर्मचारी चयन मंडल (ESB) जिसे व्यापमं के नाम से भी जाना जाता है।
2019 में टुकड़ों टुकड़ों में मिलने वाली सैलरी का बनाया गया नया नियम सिर्फ ईएसबी के माध्यम से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों पर ही लागू है। एमपीपीएससी के माध्यम से भर्ती होने वाला कर्मचारी नियुक्ति के पहले दिन से पूरी सैलरी लेने की पात्रता रखता है।
वर्तमान पॉलिसी से कर्मचारियों को ये नुकसान
2019 में बनी पॉलिसी में कर्मचारियों को बेसिक सैलरी में तो नुकसान है ही, लेकिन महंगाई भत्ता भी इसी के आधार पर तय होता है। पूरी सैलरी (Govt Employees Salary Issue) नहीं मिलने से महंगाई भत्ता भी कम मिल रहा है। जिससे नव नियुक्त कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ रही है।