Madhya Pradesh MP Nagar Nikay President No Confidence Motion: मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के ड्यूरेशन को साढ़े साल करने वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। इससे प्रदेश की विरोध वाले निकायों के अध्यक्षों में कुर्सी खोने की चिंता सताने लगी है।
दरअसल, प्रदेश की नगरीय निकाय अध्यक्षों के खिलाफ चुनाव के बाद तीन साल के अंदर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है। जिसे बढ़ाकर साढ़े चार साल करने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि, मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने आपत्ति जताई और इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
वैकल्पिक व्यवस्था पर काम कर रही सरकार
अब मध्यप्रदेश की सरकार एक वैकल्पिक व्यवस्था पर काम कर रही है, जिसके अंतर्गत नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 47 को फिर से लागू किया जा सकता है। इस धारा के तहत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय सीधे चुनाव के माध्यम से लिया जाएगा।
तीन साल पूरा कर चुके अध्यक्षों में चिंता बढ़ी
अगस्त 2025 में प्रदेश के कई अध्यक्षों का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है या होने में है। ऐसे अध्यक्षों में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने का डर बढ़ गया है। यह निर्णय उन अध्यक्षों को भारी पड़ सकता है, जहां सबसे ज्यादा विरोध है।
ड्यूरेशन बढ़ाने का औचित्य नहीं था
अगर अविश्वास प्रस्ताव का ड्यूरेशन 4.5 साल करने से नाकाम और लापरवाह अध्यक्षों को कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर उन्हें हटा भी दिया जाता तो फिर छह महीने में वह चुनाव में खड़े हो जाते। पहले से छह महीने में चुनाव कराने का प्रावधान है।
आगे सरकार की क्या तैयारी
नगरीय प्रशासन विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार कर विधि विभाग को भेजा है। इसके बाद इसे वरिष्ठ सचिवों की समिति और फिर कैबिनेट में रखा जाएगा। यदि सहमति मिलती है, तो एक अध्यादेश लाया जाएगा।
पहले ऐसी थी अविश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था
- साल 2014 तक निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते रहे।
- हालांकि, साल 2019 में कमलनाथ सरकार में चुनाव नहीं कराए।
- कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू की गई।
- साल 2022 के चुनाव से पहले धारा 47 को हटा दिया गया था।
- अब सरकार इसे दोबारा बहाल करना चाहती है।
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