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House Rent New Rule: मकान मालिक-किरायेदार का विवाद सुलझाने MP सरकार लाएगी MTA, शहरी और ग्रामीण दोनों में लागू नया कानून

MP MTA Act 2025: मध्य प्रदेश सरकार ने किरायेदारी विवादों के समाधान और दोनों पक्षों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नया "मॉडल टेनेंसी एक्ट" लागू करने की योजना बनाई है। यह कानून शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभावी होगा, जिससे संपत्ति स्वामियों और किरायेदारों के बीच स्पष्ट अधिकार और दायित्व निर्धारित होंगे।

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Bansal news
House Rent New Rule: मकान मालिक-किरायेदार का विवाद सुलझाने MP सरकार लाएगी MTA, शहरी और ग्रामीण दोनों में लागू नया कानून

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश में लागू होगा नया किरायेदारी कानून।
  • मकान मालिक और किरायेदार दोनों के लिए स्पष्ट अधिकार।
  • शहरी और ग्रामीण दोनों में लागू होगा नया मॉडल टेनेंसी एक्ट।
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MP Model Tenancy Act 2025: मध्य प्रदेश सरकार ने मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच किरायादारी विवादों के समाधान के लिए 'मॉडल टेनेंसी एक्ट' (Model Tenancy Act) लागू करने की योजना बनाई है। यह कानून शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभावी होगा, जिससे मकान मालिकों और किरायेदारों के अधिकार और दायित्व स्पष्ट होंगे। मौजूदा कानून सिर्फ शहरों तक सीमित है। अब नए एक्ट में किराया प्राधिकरण, न्यायालय और ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की जाएगी, जिससे विवादों का त्वरित समाधान संभव होगा।

एमपी में लागू होगा नया किरायेदारी कानून

मध्य प्रदेश सरकार ने किरायेदारी विवादों के समाधान और दोनों पक्षों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नया "मॉडल टेनेंसी एक्ट" लागू करने की योजना बनाई है। यह कानून शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभावी होगा। इस प्रस्ताव को विधि विभाग से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है और अब इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ सचिवों की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद इसे आगामी कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा।

सरकार का उद्देश्य है कि यह अधिनियम विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित किया जाए। यह नया कानून शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू होगा, जबकि वर्तमान में प्रदेश में लागू मध्य प्रदेश परिसर किरायादारी अधिनियम-2010 केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है।

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विवाद सुलझाने के लिए बनेगी त्रिस्तरीय व्यवस्था

नए मॉडल टेनेंसी एक्ट (एमटीए) के तहत राज्य में त्रिस्तरीय किराया प्राधिकरण, न्यायालय और ट्रिब्यूनल की व्यवस्था होगी। तीन स्तरों पर न्यायिक व्यवस्था का गठन किया जाएगा।

किराया प्राधिकरण

  • अध्यक्ष: अपर कलेक्टर रैंक का अधिकारी
  • कार्य: किरायेदारी समझौतों का पंजीकरण और विवादों का प्रारंभिक समाधान

किराया न्यायालय

  • अध्यक्ष: एडीएम रैंक का अधिकारी
  • कार्य: किरायेदारी विवादों का मध्यवर्ती समाधान
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किराया ट्रिब्यूनल

  • अध्यक्ष: अतिरिक्त जिला न्यायाधीश या जिला न्यायाधीश
  • कार्य: किरायेदारी विवादों का अंतिम समाधान

इन संस्थाओं के निर्णय के बाद ही कोई मामला सिविल न्यायालय में ले जाया जा सकेगा। सभी सदस्य लोक सेवक माने जाएंगे। सरकार का मानना है कि वर्तमान प्रदेश में लागू में संपत्ति मालिकों के हितों की उचित सुरक्षा नहीं होने के कारण वे अपनी संपत्तियों को किराए पर देने में हिचकिचाते हैं।

नए किरायेदारी कानून में बड़ा बदलाव

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) के तहत अब आयोगों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और उनके किरायेदारों को भी कानूनी दायरे में लाया जाएगा। वर्तमान कानून में इन संस्थाओं को विशेष छूट प्राप्त थी, लेकिन नए कानून में सभी पर समान नियम लागू होंगे।

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उत्तराधिकारियों पर भी लागू होंगे नियम

यदि किसी मकान मालिक या किरायेदार की मृत्यु हो जाती है, तो यह कानून उनके उत्तराधिकारियों पर भी समान रूप से लागू रहेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संपत्ति या किरायेदारी संबंधी अधिकारों में कोई कानूनी अस्पष्टता न रहे और वारिसों को स्पष्ट नियमों के तहत अधिकार मिले।

प्रॉपर्टी एजेंट्स को मिलेगी कानूनी पहचान

नए कानून के तहत अब प्रॉपर्टी एजेंट्स को भी एक कानूनी पहचान मिलेगी। इसके तहत:

  • उन्हें संबंधित जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • उनकी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा।
  • यदि कोई एजेंट किसी अनुचित या भ्रामक जानकारी के आधार पर सौदा करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

बिना अनुमति निर्माण या बदलाव पर होगी कार्रवाई

नए एक्ट के तहत किरायेदार अब किराए की जगह पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त निर्माण, परिवर्तन या फेरबदल बिना मकान मालिक की लिखित अनुमति के नहीं कर पाएगा। अगर ऐसा पाया जाता है तो उसे बेदखल किया जा सकेगा। किए गए नुकसान की भरपाई अग्रिम किराया या सुरक्षा जमा राशि से की जाएगी।

अग्रिम किराया की सीमा भी तय

  • आवासीय किरायेदारी में: अधिकतम दो महीने का अग्रिम किराया लिया जा सकेगा।
  • गैर-आवासीय परिसरों में: अधिकतम छह महीने तक का अग्रिम किराया अनुमत होगा।

इस बदलाव का उद्देश्य क्या है?

  • किरायेदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों की सुरक्षा।
  • बहुराष्ट्रीय और कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए पारदर्शी नियम।
  • किरायेदारी बाजार में विश्वास और पारदर्शिता की बहाली।
  • एजेंट्स की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करना।
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