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शराब कारोबारियों ने मंत्री को सुनाया दुखड़ाः बोले खत्म हो पुलिस की दखलंदाजी, सिर्फ आबकारी विभाग को हो कार्रवाई का अधिकार

MP Liquor Policy: एमपी सरकार को शराब कारोबारियों की फिक्र, लिकर शॉप मालिकों की शिकायतें सुनते रहे डिप्टी सीएम, आबकारी नीति पर मांगे सुझाव

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Rohit Sahu
शराब कारोबारियों ने मंत्री को सुनाया दुखड़ाः बोले खत्म हो पुलिस की दखलंदाजी, सिर्फ आबकारी विभाग को हो कार्रवाई का अधिकार

MP Liquor Policy: मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम ने आज आबकारी विभाग के अधिकारियों और प्रदेश के शराब कारोबारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में नई आबकारी नीति को लेकर कारोबारियों से सुझाव मांगे गए। इस बैठक में लिकर शॉप के मालिकों से पूछा गया कि क्या उन्हें व्यवसाय करने में कोई कठिनाई तो नहीं है। इसपर लिकर शॉप मालिकों ने अपना दुखड़ा डिप्टी सीएम को सुना दिया। शराब दुकानों के मालिक ने पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग पर भी आरोप लगाए साथ ही कार्रवाई में पुलिस की दखलअंदाजी खत्म करने की मांग की।

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कारोबारियों ने आबकारी विभाग और पुलिस की शिकायतें की

डिप्टी सीएम  (Jagdish Devda) ने जब शराब कारोबारियों से उनकी समस्याएं जानी तो लाइसेंसियों ने कई शिकायतें गिना दी। इसके साथ ही उन्होंने डिप्टी सीएम के सामने कई मांगें भी रखीं। शराब कारोबारियों ने आरोप लगाया है कि धार जिले की दो कंपनियाँ अवैध रूप से शराब का कारोबार कर रही हैं, वे 50-60 लाख रुपये (Liquor Price MP) हर साल अवैध रूप से कमाती हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि आबकारी विभाग इन कंपनियों को संरक्षण प्रदान कर रहा है।

डिप्टी सीएम ने शिकायतों के निराकरण के दिए आदेश

शराब कारोबारियों की शिकायतें सुनने के बाद फिक्रमंद सरकार ने शिकायतों के निराकरण के लिए आदेश दे दिए। डिप्टी सीएम ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में आबकारी विभाग का राजस्व (Liquor Tax MP) लक्ष्य 16 हजार करोड़ रुपए है। विभाग दूसरे राज्यों की आबकारी नीति (Liquor Policy MP) का अध्ययन कर रहा है। उनकी अच्छाइयों को प्रदेश की आबकारी नीति में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों से अपेक्षा है कि आप सभी जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों, विधायकों के माध्यम से प्राप्त शिकायतों का त्वरित निराकरण करें एवं निराकरण के बाद संबंधित को अवगत भी कराया जाए।

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सरकार से शराब कारोबारियों की डिमांड

- शराब दुकानों की समय सीमा बढ़ाई जाए, ताकि वे अधिक समय तक खुली रह सकें।
- पुलिस का हस्तक्षेप खत्म किया जाए और सिर्फ आबकारी विभाग के अफसरों को ही कार्रवाई का अधिकार हो।
- ठेका अवधि बढ़ाई जाए, कम से कम दो साल या अधिक समय के लिए।
- आबकारी पोर्टल की प्रक्रिया सरल की जाए, ताकि कारोबारियों को आसानी हो।
- ड्राउट बियर में सख्ती बरती जाए, ताकि अवैध शराब की बिक्री रोकी जा सके।
- लाइसेंस ट्रांसफर की फीस कम की जाए, ताकि कारोबारियों को आर्थिक बोझ कम हो।

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