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MP में गर्म हुआ सोयाबीन का मुद्दा: डिजिटल प्रोटेस्ट करेंगे प्रदेशभर के किसान, ये है अन्नदाताओं को प्लान!

MP Kisan Digital Protest: जिम्मेदारों के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने किसान सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हैशटेग सोयाबीन भाव 6000 करो करेगा पोस्ट

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Rahul Sharma
MP Kisan Digital Protest

MP Kisan Digital Protest

MP Kisan Digital Protest: सोयाबीन के रेट बढ़वाने को लेकर मध्य प्रदेश के किसान संगठन 1 सितंबर से अपना आंदोलन शुरु करने जा रहे हैं। इससे पहले 30 अगस्त को प्रदेशभर का किसान डिजिटल प्रोटेस्ट करेगा।

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शुक्रवार शाम 4 बजे हजारों किसान सोशल मीडिया पर #सोयाबीन_भाव_6000_करो के साथ पोस्ट करेगा, ताकि जिम्मेदारों तक उनकी मांग पहुंचे।

डिजिटल प्रोटेस्ट की क्या वजह

आज के दौर में डिजिटल प्रोटेस्ट का ज्यादा चलन है। इसकी मुख्य वजह ये है कि मुद्दा ट्रेंड होने पर सीधे जिम्मेदारों तक आपकी आवाज पहुंच जाती है। इसके अलावा भौतिक रूप से प्रदर्शन के लिए तमाम परमिशन से लेकर पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। जहां प्रदर्शन होता है सिर्फ वहीं के इलाकों का ध्यान आपकी ओर जाता है।

डिजिटल प्रोटेस्ट में पूरी दुनिया आपके मुद्दे को सुनती है। किसान अपनी मांग को सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं बल्कि दिल्ली तक भी पहुंचाना चाहते हैं। यही कारण है कि किसान डिजिटल प्रोटेस्ट का भी रास्ता चुन रहे हैं।

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श्यामपुर में थाली बजाकर प्रदर्शन

सीहोर जिले के श्यामपुर तहसील के ग्राम बमुलिया दोराहा के ग्रामीण किसानों ने पेड़ पर चढ़कर थाली बजाकर प्रदर्शन किया। वहीं महिलाओं ने भी खेतों में हाथों में सोयाबीन लेकर प्रदर्शन किया।

ग्रामीणों की मांग है कि सोयाबीन के रेट बढ़ाए जाएं। साथ ही पीला मोजेक रोग की चपेट में आने से ऐसे किसान जिनकी सोयाबीन फसल चौपट हो गई है उन्हें तत्काल फसल बीमा के तहत क्लेम की राशि मुहैया कराई जाए।

हजार रुपये प्रति क्विंटल की मांग

सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4850 रुपये के आसपास है, लेकिन मंडियों में ये 1000 से लेकर 1350 रुपये तक कम रेट पर बिक रहा है। समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाने से किसान अब सोयाबीन की फसल से दूरी बना रहे हैं।

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https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1829437003093409834

अब किसान संगठनों ने मांग की है कि प्रदेश में सोयाबीन का रेट कम से कम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।

किसान संगठनों की ये रणनीति

1 से 7 सितंबर तक किसान संगठन अपने अपने इलाकों में सोयाबीन उत्पादक गांवों में ज्ञापन देंगे। अंदाज इस बात का है कि करीब 10 हजार गांवों में सरपंच और सचिवों को ज्ञापन दिया जाएगा।

7 सितंबर तक यदि सरकार किसानों की मांगें पूरी नहीं करती है तो किसान फिर सड़कों पर उतरने (Soybean Rate Kisan Protest) की रणनीति बनाएंगे।

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एक वीडियो बना आंदोलन की चिंगारी

सोशल मीडिया पर सबसे पहले 18 अगस्त को मंदसौर जिले के गरोठ गांव के किसान कमलेश पाटीदार का ही फसल पर टैक्टर चलाने का वीडियो सामने आया। कमलेश पाटीदार ने ही पुष्टी की कि उनके ही गांव के कुछ और किसानों ने अपनी सोयाबीन की फसल पर ट्रेक्टर चला दिया है।

ऐसे में जो फसल घाटा देगी ही उसे दो महीने तक और क्यों खेत में खड़ा रखा जाए। पाटीदार ने सोयाबीन की फसल बखर दी है, वह अब इसमें कोई दूसरी फसल लगाएंगे। इसी तरह कई और किसानों ने अपनी खड़ी सोयाबीन की फसल पर टैक्टर चला दिया।

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