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MP Murtakka Bridge
MP Murtakka Bridge: मध्यप्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी पर बने 70 साल पुराने मोरटक्का पुल से भारी वाहनों की आवाजाही को कलेक्टर ने हरी झंडी दे दी है। इस पुल से 20 टन से ज्यादा भारी वाहनों के निकलने पर इंदौर कमिश्नर ने रोक लगाई थी। यह सब तक हो रहा है जब विशेषज्ञों ने जांच में लिखा-भारी वाहनों के संचालन से पुल टूट सकता है।
एक तरफ खंडवा कलेक्टर के आदेश से ट्रांसपोटर्स खुश हैं। इतना ही नहीं आदेश के पीछे सांसद को आगे करके चैंबर ऑफ कॉमर्स के नेता श्रेय ले रहे हैं।
ये देखिए कलेक्टर का आदेश
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जानकारी के मुताबिक, नर्मदा नदी पर बना 70 साल पुराना मोरटक्का पुल कमजोर हो गया है। दो साल पहले नर्मदा में बाढ़ के कारण पुल में दरारें आ गई थीं। जांच कमेटी की सलाह पर इंदौर कमिश्नर ने भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
23 सितंबर को कलेक्टर ने आदेश किया
23 सितंबर 2025 को खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने पुल से भारी वाहनों के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया है। आदेश जारी होने के बाद पुल की सुरक्षा में जगह-जगह लगाए गए चेकिंग पॉइंट और नाकों को हटा दिया गया। अब बेरोकटोक भारी मालवाहक वाहन पुल से गुजर रहे हैं।
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खंडवा के 70 साल पुराने मोरटक्का पुल से निकलते भारी वाहन।[/caption]
विशेषज्ञों की चेतावनी
इंदौर के एसजीआईटीएस कॉलेज (SGITS) के विशेषज्ञों की एक कमेटी ने पुल की बारीकी से जांच की थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि 20 टन से ज्यादा वजनी वाहनों पर तत्काल प्रतिबंध लगाए। वरना पुल के टूटने से कोई बड़ा हादसा होने में देर नहीं लगेगी।
खंडवा-बुरहानपुर को इंदौर से जोड़ने वाला ब्रिज
1947 से 1955 के बीच निर्मित मोरटक्का पुल अब काफी पुराना और कमजोर हो चुका है। इस पुल पर इंदौर से खंडवा-खरगोन और बुरहानपुर का भारी ट्रैफि है। यह इंदौर से खंडवा और बुरहानपुर को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है। 2023 में नर्मदा में आई बाढ़ के दौरान यह पुल डूब गया था। पुल की रेलिंग बह गई और सड़क उखड़ गई थी। पिलर में दरारें भी आ गई थीं। इसके बाद तुरंत ट्रैफिक को बंद कर दिया गया। तब एनएचएआई ने इंदौर के एसजीआईटीएस कॉलेज के विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम से पुल की जांच करवाई।
यह थी जांच कमेटी
इस जांच समिति में कॉलेज के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय रोड़े, डॉ. एमके लघाटे, और प्रोफेसर विवेक तिवारी ने घंटों तक पुल की बारीकी से जांच की। उन्होंने दरारों के भीतर से कुछ पत्थरों को नमूने के रूप में अपने साथ रखा। इसके बाद पुल का रखरखाव IRC (इंडियन रोड कांग्रेस) के नियमों के अनुसार किया गया। फिर लोड परीक्षण कराया गया और यह निर्धारित किया गया कि पुल से बी श्रेणी के वाहन ही गुजरेंगे। अर्थात् 20 टन से अधिक वजन वाले वाहन नहीं गुजरेंगे। युद्ध जैसे हालात में भारी वाहनों को एक-एक करके निकाला जाएगा।
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खंडवा में नर्मदा नदी पर बना मोरटक्का पुल।[/caption]
6 महीने बाद पेट्रोल-डीजल वाहनों को छूट दी गई
मोरटक्का पुल पर भारी वाहनों के प्रतिबंध के बाद सभी वाहन, जिनमें डीजल-पेट्रोल के वाहन भी शामिल थे, इंदौर से खलघाट होकर खरगोन होते हुए खंडवा आने लगे। इस दौरान ट्रांसपोर्ट खर्च में वृद्धि के कारण खंडवा में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिए गए। 18 मार्च 2024 को, 6 महीने बाद, इंदौर के तत्कालीन कमिश्नर दीपकसिंह की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में एनएचएआई, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और फूड सप्लाई डिपार्टमेंट के अधिकारी शामिल हुए। कमिश्नर सिंह ने निर्देश दिए कि मोरटक्का पुल से 20 टन वजनी टैंकर 24 घंटे आ-जा सकेंगे। यदि लोड 20 टन से अधिक है तो पुल से एक बार में केवल एक ही टैंकर निकलेगा। इसके लिए सुबह 8 बजे से पहले का समय भी निर्धारित किया गया था।
एक्सपर्ट बोले- यह IRC के मापदंडों का खुला उल्लंघन
भारी वाहनों को छूट देने के मामले में जांच कमेटी के सदस्य एसजीआईटीएस कॉलेज के प्रोफेसर विवेक तिवारी से चर्चा की गई। तिवारी ने बताया कि कोई वैकल्पिक मार्ग न होने के कारण कमेटी ने सुझाव दिया था कि केवल B श्रेणी के वाहनों को ही पुल से निकाला जाए। इनका लोड 20 टन से कम होता है। जबकि हम देख रहे हैं कि प्रशासन द्वारा A++ श्रेणी के वाहनों को भी निकाला जा रहा है।
6 महीने बाद पेट्रोल-डीजल वाहनों को छूट दी गई
मोरटक्का पुल पर भारी वाहनों के प्रतिबंध के बाद सभी वाहन इनमें डीजल-पेट्रोल के वाहन भी शामिल थे। ये इंदौर से खलघाट होकर खरगोन होते हुए खंडवा आने लगे। इस दौरान ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ने से खंडवा में पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़ा दिए गए। 6 महीने बाद 18 मार्च 2024 को इंदौर के तत्कालीन कमिश्नर दीपकसिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई।
इस बैठक में एनएचएआई, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और फूड सप्लाई डिपार्टमेंट के अफसर शामिल हुए। कमिश्नर सिंह ने निर्देश दिए कि मोरटक्का पुल से 20 टन वजनी टैंकर 24 घंटे आ-जा सकेंगे। यदि लोड 20 टन से ज्यादा है तो पुल से एक बार में एक ही टैंकर निकलेगा। इसके लिए सुबह 8 बजे से पहले का समय भी निर्धारित किया था।
एक्सपर्ट बोले- ये IRC के मापदंडों का खुला उल्लंघन
भारी वाहनों को छूट दिए जाने के मामले में जांच कमेटी में शामिल एसजीआईटीएस कॉलेज के प्रोफेसर विवेक तिवारी से बातचीत की। तिवारी ने कहा कि कोई वैकल्पिक मार्ग न होने के कारण कमेटी ने सलाह दी थी कि सिर्फ B कैटेगरी के वाहन ही पुल से निकाले जाए। इनका लोड 20 टन से कम रहता है। जबकि हम देख रहे है कि प्रशासन द्वारा A++ कैटेगरी के वाहन तक निकलवाए जा रहे हैं।
प्रो. तिवारी के मुताबिक, यह IRC के मापदंडों का खुला उल्लंघन है। पुल काफी पुराना होकर सकरा है, न तो नियम के हिसाब से रेलिंग और न हाईमास्ट लगे हुए हैं। किसी भारी वाहन का यदि एक्सीडेंट होता है तो सीधे तौर पर पुल के ऊपर भार आ सकता है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को सख्ती दिखाने के साथ ही वैकल्पिक मार्ग के लिए प्रयास करने चाहिए। मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि वहां सिंहस्थ तक चार-पांच पुल बनने चाहिए।
खंडवा चैंबर ऑफ कॉमर्स श्रेय लेने में लगा
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पूर्व निमाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, खंडवा के अध्यक्ष सुनील बंसल और सचिव संतोष गुप्ता ने खंडवा ट्रक, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन को एक पत्र लिखा है। पत्र में लिखा कि 27 सितंबर 2025 को शाम 4 बजे खंडवा कलेक्टर कार्यालय में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और कलेक्टर ऋषव गुप्ता के साथ चैंबर ऑफ कॉमर्स तथा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें मोरटक्का स्थित नर्मदा नदी पर बने पुराने पुल से सभी वाहनों के लिए आवागमन हेतु खोल दिया गया है। कलेक्टर के इस आदेश से पूर्व के सभी आदेश निरस्त माने जाएंगे।
पूरे मामले पर कलेक्टर क्या बोले ?
पूरे मामले में कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने कहा कि मैंने सिर्फ सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर भारी वाहनों पर रोक लगाई थी। जिस आदेश को मैंने निरस्त किया है, अब सावन महीने से पहले क्या स्थिति थी, यह मेरी जानकारी में नहीं है। यदि कुछ नियम लागू थे तो वह लागू रहेंगे। मेरा आदेश सिर्फ सावन महीने को लेकर था, जिसे निरस्त किया है। साथ ही कलेक्टर ने कहा कि मैंने सभी प्रकार के वाहनों को छूट दे दी है। कहीं न कहीं जो अवैध रूप से रोजाना की वसूली हो रही थी, वो बंद हो गई है। रोक के आदेश के कारण भ्रष्टाचार बढ़ गया था। नये आदेश से ट्रांसपोर्टर को राहत मिली है। इससे कारोबारियों के लिए भाड़ा भी सस्ता होगा।
अब निकलने लगे हाईवा और भारी वाहन
दरअसल, खंडवा कलेक्टर के इसी आदेश के बाद से मोरटक्का पुल से भारी वाहन निकलने लगे हैं। इनमें हाईवा और अन्य भारी वाहन निकल रहे हैं, जो कि 100 टन से ज्यादा वजनी हैं। यदि कोई हादसा होता है तो इंदौर से खंडवा-बुरहानपुर की कनेक्टिविटी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। क्योंकि इसके अलावा यहां कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग नहीं है।
उधर, निर्माणाधीन नेशनल हाईवे का ब्रिज का काम भी बहुत धीमी गति से चल रहा है। गुजरात की कंपनी को एनएचएआई द्वारा कई बार नोटिस जारी हो चुके हैं। लेकिन कार्य की प्रगति काफी धीमी है। अभी तक पिलर भी खड़े नहीं हो पाए हैं।
चैंबर का आरोप- पैसे लेकर छोड़ रहे थे भारी वाहन
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुनील बंसल का कहना है कि पुल कमजोर है या नहीं, यह हमें नहीं मालूम। बाकी उस पुल से 70-80 टन वजनी वाहन रोक के बावजूद निकल रहे थे। पुलिस वाले वसूली करके ट्रकों को रात में छोड़ते थे। हमने यह बात सांसद जी के संज्ञान में लाई थी।
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