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भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस में कई ऐसे जांबाज अफसर हैं जो क्रिमिनलों के लिए काल माने जाते हैं। इन अफसरों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। उन्हीं में से एक नाम आता है भोपाल सेंट्रल जेल के एडीजी जीआर मीणा (G.R Meena) का। जिन्होंने अपने 28 साल के करिअर में 65 से ज्यादा डकैतों को मार गिराया है। उन्होंने रीवा, सतना, भिंड और झाबुआ में हुए 31 मुठभेड़ों में इन डकैतो को मार गिराया है।
राष्ट्रपति के हाथों हो चुके हैं सम्मानित
गाजीराम मीणा (Gajiram Meena) को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं। राष्ट्रपति के हाथो भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। 2011 में उन्होंने डकैत सुंदर पटेल गैंग का सफाया किया था। इसके लिए मीणा समेत उनके ग्रुप के 6 और सदस्यों को राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार से से सम्मानित किया गया था। 1990 बैच के आईपीएस (IPS) अधिकारी जीआर मीणा की पहली पोस्टिंग बालाघाट के लांझी में एसडीओपी के रूप में हुई। लेकिन इससे पहले ही मीणा ने अपना पहला शिकार कर लिया था।
ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होने कर लिया था पहला शिकार
दरअसल, ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बिहार के बेतिया में भेजा गया था। उनके साथ दो और प्रशिक्षु अफसर थे। तीनों को
वहां के एक गांव में ठहरना था। लेकिन रात में लुटपाट करने के उद्देश्य से इनलोगों पर कुछ बदमाशों ने रॉड से हमला कर दिया। हमला होने के बाद उनके दो दोस्त जो साथ में ट्रेनिंग कैप मसूरी से आए थे वे डर के मारे पलंग के नीचे दुबक गए। बदमाशों ने उन दोनों का सारा समान भी ले लिया। लेकिन जैसे ही वे मीणा के पास पहुंचे उन्होंने एक बदमाश का सरिया पकड़ लिया और जवाबी हमला कर दिया। इसके बाद बदमाश भागने लगे। मीणा भी सरिया लेकर उनके पिछे भागे। इसी दौरान उन्होंने एक बदमाश के सिर पर रॉड से वार कर दिया जिसमें उसकी मौत हो गई।
झाबुआ में किया था पहला एनकांउटर
हालांकि एनकाउंटर की शुरूआत उन्होंने एसपी बनने के बाद की। उन्होंने सबसे पहला एनकाउंटर झाबुआ में एसपी रहते हुए किया था। इस एनकाउंटर में सुरपाल भील नाम के एक बदमाश को मारा गया था। जिसने अलीराजपुर मे एक प्रोफेसर की हत्या उसके घर में घुसकर कर दी थी। इसके बाद 5 मर्डर के आरोपी जामा भील को भी इन्होंने ही एनकाउंटर में मार गिराया था। वहीं अगर इनके द्वारा अंतिम एनकाउंटर की बात करें तो इन्होंने रीवा में 25 अक्टूबर 2012 को बलखड़िया गैंग के 4 सदस्यों को किया था।
मीणा के कुल एनकाउंटर
अगर इनके कुल एनकाउंटर की बात करें तो इन्होने झाबुआ में 2, भिंड में 26, ग्वालियर में 6, चंबल में 4, रीवा में 22 डकैतों को मार गिराया है। डकतों में इनका काफी खौफ था। मध्य प्रदेश से दस्यु गैंग को खत्म करने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।
7 बार मौत को दे चुके हैं चकमा
ये तो हमने बात की कि जीआर मीणा ने इतने डकैतो को मारा। लेकिन क्या इस दौरान इन पर हमले नहीं हुए ? तो इसका जबाव है बिल्कुल हुए। इन्होंने 7 बार मौत को चकमा दिया है। एक बार जब ये जालौन में एक गैंग का सामना करने गए तो उनके साथ 10 और सदस्य साथ में गए थे। इन्होंने 5-5 की संख्या में उनलोगों को दो टीमों में बांट दिया था। जिन्हें दाएं और बाएं की ओर से डकैतों के तरफ बढ़ना था। लेकिन जैसे ही मीणा का डकैतों से सामना हुआ उनेक और सदस्य पिछे ही रह गए थे यानि सामने डकैत बीच में मीणा और पिछे उनके साथी। दोनों तरफ से गोलियां चलने लगी और जीआर मीणा बीच में फंस गए करीब 50 राउंड गोलियां उनके सिर के उपर से पार हुई। लेकिन इस दौरान एक भी गोली उन्हें नहीं लगी। वहीं दूसरी बार पटेल और बलखडिया गैंग के बीच में भी मीणा फंस गए थे। उस समय मीणा और इनके साथी एक पहाड़ को पार कर रहे थे। इसी वक्त दोनों गैंग ने पहाड़ के नीचे और उपर से गोलियां बरसानी शुरू कर दी। जिसमें इनके एक साथी की मौत हो गई थी। तभी से इन्होंने पटेल गैंग को खत्म करने का वचन ले लिया था और 2011 में उन्होंने एक एनकाउंटर में सुंदर पटेल समेत उसके सभी साथियों को मार गिराया था।