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MP katni Village Road Vivad: कटनी जिले में बरही तहसील के तीन गांवों की सड़क को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। दरअसल, कलेक्टर ने करौंदी खुर्द, कन्नौर और बिचपुरा गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क को एक ठेकेदार को लीज पर दे दिया। इसके बाद ठेकेदार ने उस रास्ते पर गिट्टी डंप करना शुरू कर दिया, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह बाधित हो गई।
ग्रामीणों ने पहले प्रशासन से सड़क खुलवाने की गुहार लगाई, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को तुरंत सड़क खोलने के निर्देश दिए, लेकिन आदेश के बावजूद रास्ता नहीं खोला गया।
इसके बाद अदालत ने सख्त रुख अपनाया और राज्य सरकार, कटनी कलेक्टर आशीष तिवारी तथा ठेकेदार तिलकराज ग्रोवर को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने तीनों को 10 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया है।
तीनों गांवों के बीच आवागमन का एकमात्र रास्ता
दरअसल, यह सड़क बरही तहसील के तीनों गांवों के बीच आवागमन का एकमात्र रास्ता है। खनन कार्य के बाद डंपिंग के लिए प्रशासन ने इसे ठेकेदार को लीज पर दे दिया था। 1 जुलाई 2025 को खनिज विभाग की रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने ग्राम कन्नौर स्थित खसरा नंबर 861 की लगभग 65 हेक्टेयर जमीन को मात्र 300 रुपये वार्षिक किराए पर ठेकेदार को सौंप दिया था।
यह जमीन कई सालों से ग्रामीणों द्वारा कच्ची सड़क के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी और राजस्व रिकॉर्ड में भी इसे रास्ते के रूप में दर्ज किया गया है। प्रशासन द्वारा इस सार्वजनिक मार्ग को डंपिंग साइट में बदलने के फैसले से लोग नाराज हो गए। उन्होंने इसकी शिकायत भी कलेक्टर से की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर न्यायालय की शरण ली।
याचिकाकर्ता संदीप जायसवाल ने 16 सितंबर को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 27 सितंबर को सुनवाई के दौरान अदालत ने उनसे उस जगह के फोटो मांगे, जहां रास्ता बंद किया गया था। 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई में फोटो देखने के बाद कोर्ट ने जिला प्रशासन को तुरंत सड़क खोलने का निर्देश दिया। फिर भी आदेश लागू नहीं हुआ, जिसके चलते 4 नवंबर को अवमानना याचिका दायर की गई।
पूरी तरह से रोक दिया गया डंपिंग का काम
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मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला जनता के अधिकारों से जुड़ा है और यदि कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो यह गंभीर अवमानना होगी। अदालत ने स्पष्ट कहा कि किसी भी सार्वजनिक मार्ग को निजी व्यक्ति या संस्था के लाभ के लिए नहीं सौंपा जा सकता।
कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि कलेक्टर और ठेकेदार का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल कोर्ट के आदेश से ग्रामीणों को राहत मिली है और सड़क पर डंपिंग का काम पूरी तरह से रोक दिया गया है।
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