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MP जल लेखा परीक्षा में चयनित प्रतिभागियों को राहत!: HC ने कहा- आगे से प्रशिक्षण में पहले आओ, पहले पाओ की नीति न अपनाएं

Madhya Pradesh High Court: MP के हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने रोक के आदेश जारी किए, जनवरी में पूरा हो चुका प्रतिभागियों का प्रशिक्षण, पुराना विज्ञापन रद्द करने से पूरा नहीं होगा उद्देश्य

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sanjay warude
Madhya Pradesh High Court (1)

हाइलाइट्स

  • जनवरी में पूरा हो चुका प्रतिभागियों का प्रशिक्षण
    एमपी सरकार चयन सूची भी कर जारी कर चुकी
    HC- पुराना विज्ञापन रद्द करने से पूरा नहीं होगा उद्देश्य
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Madhya Pradesh High Court: मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट (High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) ने MP की जल लेखा (Jal Lekha) परीक्षा के प्रशिक्षण में आगे से पहले आओ, पहले पाओ (First come, first served) की नीति पर रोक के आदेश जारी किए। इससे पहले कि MP की जल लेखा परीक्षा की चयन सूची के प्रतिभागियों को राहत मिल सकती है।

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान इस नीति को दोषपूर्ण बताया और कहा हैं कि विज्ञापन (Advertisement) जारी होने को बहुत समय बीत चुका। जनवरी (January) में प्रशिक्षण भी पूरा हो चुका है। लंबे समय पहले के विज्ञापन को रद्द कर कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। ऐसे में हस्तक्षेप (Intervention) का कोई मामला नहीं बनता है।

जल लेखा परीक्षा प्रशिक्षण

दरअसल, जल लेखा परीक्षा में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवेदन मांगे गए थे। जिस पर याचिकाकर्ता विवेक द्विवेदी ने चयन सूची को चुनौती दी थी। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवेदन स्वीकार करने की नीति त्रुटिपूर्ण बताई है।

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SC भी नीति को नकार चुका

याचिकाकर्ता के वकील (Lawyer) ने कहा हैं कि इसमें विज्ञापन के अनुसार कुछ व्यक्तियों का चयन (Selection) किया गया था। इसे सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन एंड अदर्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर्स (Center for Public Interest Litigation and Others vs. Union of India and Others) के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निंदनीय बताया गया है।

HC ने कहा ये नीति दोषपूर्ण

हाईकोर्ट की इंदौरपीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि यह पहले आओ, पहले पाओ की नीति दोषपूर्ण है। इसे राज्य को सार्वजनिक रोजगार के मामलों में लागू नहीं करना चाहिए। यह सिद्धांत किसी भी सार्वजनिक रोजगार के मामले में लागू नहीं हो सकता। आगे से जल लेखा परीक्षा के लिए प्रशिक्षण देने के लिए पहले आओ पहले पाओ की नीति को न अपनाएं।

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