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4 साल में बाबू ने किया 7 करोड़ का घोटाला: पिता की जगह हुई थी अनुकंपा नियुक्ति, 44 हजार सैलरी निकालता रहा 4 लाख

Jabalpur News: मध्यप्रदेश के जबलपुर में वित्त विभाग के स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय के बाबू ने 7 करोड़ रुपए का गबन कर दिया। चार साल से कर रहा घोटाला ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया

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BP Shrivastava
Jabalpur News

हाइलाइट्स

  • जबलपुर फंड ऑडिट ऑफिस के बाबू ने किया बड़ा घोटाला
  • शिकायत से पहले ही फरार हो गया बाबू, 3 कर्मी सस्पेंड
  • 3 दर्जन कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध
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Jabalpur Finance Department Babu Fraud: मध्यप्रदेश के जबलपुर में वित्त विभाग के स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय में पदस्थ बाबू ने 7 करोड़ रुपए का गबन कर दिया। यह घोटाला आला अधिकारियों की नाक के नीचे होता रहा। बाबू यह घोटाला करीब चार साल से कर रहा था, लेकिन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगी। फरवरी 2025 में हुई ऑडिट रिपोर्ट में यह फर्जीवाड़ा सामने आया।

सैलरी 44 हजार, निकालता रहा 4 लाख

जबलपुर के सिविक सेंटर स्थित स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय में संदीप शर्मा, सहायक ग्रेड-3 में बाबू के पद पर पदस्थ है। नियमानुसार उसकी मासिक सैलरी 44 हजार रुपए है, लेकिन एक साल पहले फरवरी 2024 में उसने सैलरी बिल के पीपी कॉलम में राशि बढ़ाकर चार लाख रुपए कर दी। इसके बाद बाबू संदीप शर्मा ने एक साल तक 44 हजार रुपए के स्थान पर 4 लाख 40 हजार रुपए प्रतिमाह (फरवरी 2024 से जनवरी 2025 तक) वेतन के रूप में 53 लाख 55 हजार रुपए निकाल लिए। लेकिन उसके द्वारा किए गए इस गबन की जानकारी किसी अफसर को नहीं लगी।

संयुक्त संचालक की भूमिका भी संदिग्ध

पुलिस जांच में सामने आया कि सहायक संचालक प्रिया विश्नोई और ज्येष्ठ संपरीक्षक (Senior Auditor) सीमा अमित तिवारी ने बाबू संदीप को अपनी ईडी का लॉगिन पासवर्ड दे रखा था। जिसके चलते ही उसने इस घोटाले को अंजाम दिया। पुलिस करोड़ों के इस फर्जीवाड़े में संयुक्त संचालक (Joint Director) की भी भूमिका संदिग्ध मानकर चल रही है।

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बाबू ने फर्जी बिल लगाकर निकाले 7 करोड़

फरार बाबू संदीप शर्मा ने सैलरी के अलावा विभागों से पास होने आए बिलों में हेरफेर कर करोड़ों रुपए का गबन किया है। जानकारी के मुताबिक संयुक्त संचालक ऑडिट जबलपुर संभाग के ऑफिस में नगरीय निकाय सहित कार्यालय में होने वाले काम के बिल पास किए जाते हैं। इसी विभाग का बाबू संदीप शर्मा बड़ी ही चालाकी से ना सिर्फ बीते एक साल में हर माह 4 लाख 40 हजार रुपए निकालता रहा, बल्कि फर्जी बिल लगाकर करीब 7 करोड़ रुपए तक निकल लिए। फर्जी बिल लगाकर अपने परिचितों के खातों में पैसे ट्रांसफर करने का यह काम संदीप 2012 से कर रहा था।

थाने में शिकायत से पहले ही बाबू फरार

25 फरवरी 2025 को विभाग में करोड़ों का गबन होने की बात सामने आते ही हड़कंप मच गया। आनन-फानन में संयुक्त संचालक ने जिला कोषालय अधिकारी को घोटाले की जानकारी देते हुए ओमती थाने में शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन इसकी भनक घोटालेबाज बाबू संदीप शर्मा को लग चुकी थी। वह पुलिस की पकड़ में आने से पहले ही फरार हो गया।

इधर, संपरीक्षा कार्यालय में पदस्थ सहायक संचालक प्रिया विश्नोई और ज्येष्ठ संपरीक्षक सीमा अमित तिवारी सहित बाबू संदीप शर्मा को कलेक्टर के निर्देश पर सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद होली के दिन यानी 13 मार्च 2025 को संयुक्त संचालक मनोज बरहैया समेत संदीप शर्मा, सीमा अमित तिवार, प्रिया विश्नोई और अनूप कुमार के खिलाफ FIR हो गई है।

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जांच में पता चला है कि प्रिया विश्नोई और सीमा अमित तिवारी ने बाबू संदीप को लॉगिन पासवर्ड दे रखा था। जिसके चलते ही उसने इस घोटाले को अंजाम दिया था। करोड़ों के फर्जीवाड़े में संयुक्त संचालक मनोज बरहैया की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

बाबू ने ऑफिस ग्रुप लेफ्ट होने से पहले लिखा- सुसाइड कर लूं

जानकारी के मुताबिक संदीप शर्मा ने ऑफिस के ग्रुप से लेफ्ट होने से पहले लिखा, "बहुत ज्यादा ग्लानि हो रही है। लगता है कि आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं है।" संदीप के इस मैसेज के बाद पुलिस ने उसकी तलाश तेज कर दी है।

4 साल में बाबू संदीप शर्मा ने किया 6.99 करोड़ का घोटाला

लाखों रुपए का घोटाला सामने आने के बाद संयुक्त संचालक संपरीक्षा कार्यालय मनोज बरैया ने जिला कोषालय अधिकारी विनायिका लकरा से मुलाकात कर उन्हें मामले से अवगत करवाया। इसके बाद घोटाले की जानकारी कलेक्टर दीपक सक्सेना को दी गई। जिसके बाद बाबू संदीप शर्मा सहित तीन अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई हुई। इधर, जांच के दौरान यह भी सामने आया कि 2021 से 2025 फरवरी तक संदीप शर्मा ने 6.99 करोड़ का घोटाला किया था।

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विभाग के 3 दर्जन से अधिक कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध

कलेक्टर के निर्देश पर गठित जांच टीम ने यह भी पाया कि 2021 से ही संदीप शर्मा के साथ वेरिफायर सीमा अमित तिवारी, अप्रूवर मनोज बरहैया एवं पेरोल अप्रूवर प्रिया विश्नोई की मिलीभगत थी। घोटाले की जांच कर रही टीम ने अनिकेत विश्वकर्मा, प्रतीक शर्मा, पुनीता, प्रियांशु शर्मा, शैरोन अर्पित हैरिसन, शालोम विवियन गिल, आशीष विश्वकर्मा, मोहम्मद रयाज, राहुल शर्मा, कविता शर्मा, स्वाति शर्मा, दिलीप कुमार विश्वकर्मा, रुकसार परवीन, शिवम शर्मा, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद शरीक, मो. उबेदुल्ला, पुष्पा देवी शर्मा, शुभम शर्मा, विनय कुमार, काशिफ आजमी, अनीशा शर्मा, दत्ताराय सरवन, पूनम शर्मा, केके शर्मा, श्वेता शर्मा, कृतिका विश्वा, विकास कुमार, अनीता, आकांक्षा, सुष्मिता सरवन, अनिल कुमार मिश्रा, अनिल कुमार मरावी, जया पासी और मेनुका पर भी घोटाले में संलिप्त होने की आशंका जताई है। मामले की जांच फिलहाल जारी है।

वेरिफाई और अप्रूव करने वाले अधिकारी दे रखी थी लॉगिन आईडी-पासवर्ड

अपर कलेक्टर मिशा सिंह ने बताया कि जो भी बिल बनाकर पास किए गए हैं, उसकी तीन स्टेज थी। पहली स्टेज पर बाबू संदीप शर्मा, जो कि बिल बनाया करता था, इसके बाद बिल को वेरिफाई करने और अंतिम स्टेज पर उसे अप्रूव करने की दो अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी होती थी। जांच के दौरान यह भी पता चला कि दोनों ही अधिकारियों ने संदीप शर्मा को लॉगिन आईडी और पासवर्ड दिया था। जिसके चलते शासन को करोड़ों का नुकसान हुआ।

रिटायर्ड कर्मचारी का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर रुपए निकाले

बाबू संदीप शर्मा ने जनवरी 2025 में एक रिटायर्ड कर्मचारी का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर, फर्जी स्वीकृति आदेश तैयार किया। जिसमें स्वंय संयुक्त संचालक के फर्जी साइन किए, और रिटायर्ड कर्मचारी की पत्नी के नाम के स्थान पर अपनी मौसी पुनीता का नाम लिखकर उनके बैंक खाते से करीब 8 लाख 50 हजार रुपए निकाल लिए।

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इधर, संपरीक्षा विभाग के अपर संचालक ने घोटालेबाज बाबू संदीप शर्मा को 1966 के नियम 9 के तहत लाखों रुपए का घोटाला करने के मामले में निलंबित कर। उसे सागर संपरीक्षा कार्यालय में तैनात किया है। लेकिन घोटाला उजागर होने के बाद से ही वह फरार है।

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