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हाइलाइट्स
- जबलपुर पुलिस ने पकड़ा नकली नोट छापने वाला गिरोह।
- किराए पर मकान में चल रही थी नकली नोट की फैक्ट्री।
- मास्टरमाइंड ऋतुराज सहित 7 आरोपी गिरफ्तार, एक फरार।
Jabalpur Fake Currency Racket: जबलपुर पुलिस ने नकली नोट छापने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड ऋतुराज विश्वकर्मा समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जबकि एक आरोपी अभी फरार है। गिरोह के सदस्य मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में नकली नोटों को फैलाने की साजिश रच रहे थे। पुलिस ने 18 लाख रुपए के नकली नोट खपाने की साजिश का खुलासा किया है। इस रैकेट का नेटवर्क धीरे-धीरे पूरे एमपी में फैल रहा था।
नकली नोट छापने की फैक्ट्री का भंडाफोड़
मध्य प्रदेश के जबलपुर में नकली नोटों का बड़ा रैकेट सामने आया है। पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए करीब 18 लाख के नकली नोट बरामद किए हैं। इस गिरोह के मास्टरमाइंड ऋतुराज विश्वकर्मा है, जो एक किराए के मकान में नकली नोट की छपाई का कारखाना चला रहा था। यह गिरोह की योजना पूरे एमरी में नकली नोट खपाने की थी। इस गिरोह को भारी कमीशन पर नकली नोटों को असली नोटों में बदलवाने का नेटवर्क खड़ा करना था।
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पुलिस की कार्रवाई कैसे हुई शुरू?
दरअसल, 16 जून को हनुमानताल थाना पुलिस को सूचना मिली कि रवि दाहिया नामक व्यक्ति नकली नोट खपाने की कोशिश कर रहा है। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मदार टेकरी इलाके से रवि को रंगे हाथों पकड़ा, उसके पास से 2 लाख 94 हजार रुपए के 500-500 के नकली नोट बरामद हुए।
नकली के बदले असली नोटों का खेल
पुलिस की पूछताछ में नकली-बदलकर असली नोटों का धोखाधड़ी खेल सामने आया। पुलिस को दहिया ने राज उगलते हुए बताया कि उसे ये नोट आधारताल निवासी ऋतुराज विश्वकर्मा से मिले थे। उसने 1 लाख रुपए नकली नोट के बदले 30 हजार के असली नोट देने की डील हुई थी। इसके बाद पुलिस ने ऋतुराज के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
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छापेमारी में क्या-क्या मिला?
पुलिस ने तुरंत गिरोह के मास्टरमाइंड ऋतुराज के किराए के मकान पर छापा मारा। वहां से मिला:
- 1 लाख 94 हजार के नकली नोट
- लेपटॉप (जिसमें नोट की डिजाइन बनी थी)
- कलर प्रिंटर, पेपर कटर
- A4 साइज के स्पेशल पेपर
जांच में पता चला कि ऋतुराज पिछले एक महीने से इस काम में लिप्त था और उसने MP के हर जिले में नेटवर्क फैलाने की योजना बनाई थी।
कैसे बनते थे नकली नोट?
पुलिस की पूछताछ में ऋतुराज ने बताया कि वह लैपटॉप और कलर प्रिंटर की मदद से असली जैसे दिखने वाले 500-500 के नोट प्रिंट करता था। इन नोटों में चांदी की असली तार की जगह सिल्वर पेन से लाइन खींची जाती थी, साथ ही महंगे रंग और व्हाइट पेपर का इस्तेमाल होता था, नोट का पेपर असली की तुलना में थोड़ा मोटा होता था, जिससे पहचान मुश्किल हो जाती है।
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नेटवर्क फैलाने की थी पूरी योजना
ऋतुराज का इरादा था कि वह हर जिले में टीम बनाकर नकली नोटों का कारोबार फैलाए। गिरोह ने आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों को चुना जहां लोगों की जागरूकता कम होती है।
इसके लिए उसने ग्रामीण और कम शिक्षित इलाकों को निशाना बनाया। वहां नकली नोट खपाना आसान था। उसने नकली नोट खपाने के लिए पूरी टीम बना ली थी। पुलिस ने इस मामले में अजय नवेरिया और संतोष श्रीवास्तव जैसे आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने नकली नोटों का कारोबार किया था।
पूछताछ में सामने आया है कि ऋतुराज ने मंडला के संतोष और अजय नवेरिया को 12 लाख के नकली नोट दिए थे। डील के अनुसार, उन्हें 3 लाख रुपए के असली नोट देने थे। पुलिस ने अजय से 10 लाख और शहपुरा निवासी जमना प्रसाद पटेल के पास से 3 लाख के नकली नोट बरामद किए हैं।
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कम पढ़े-लिखे इलाके के लोगों को बनाया निशाना
गिरोह ने सबसे पहले जबलपुर और आसपास के आदिवासी बाहुल्य और ग्रामीण क्षेत्रों को निशाना बनाया, जहां लोग कम शिक्षित होते हैं। यहां नकली नोट खपाना आसान होता है। ऋतुराज ने रेलवे स्टेशन पर धीरज से मुलाकात के बाद गौरव और राकेश से संपर्क कराया और इस योजना को अंजाम दिया।
7 आरोपी गिरफ्तार, एक फरार
गिरफ्तार 7 आरोपियों में रवि दहिया, धीरज बनवानी, गौरव तिवारी, संतोष, अजय, जमना प्रसाद शामिल हैं। वहीं आठवां आरोपी राकेश तिवारी अब भी फरार है। गिरोह द्वारा छोटे, कम पढ़े-लिखे इलाकों को निशाना बनाया जा रहा था।
आरोपी का पारिवारिक जीवन
ऋतुराज एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। उसकी पत्नी और एक बेटा है। घरवालों को उसने बताया था कि वह प्राइवेट नौकरी करता है, लेकिन असल में वह रात में नोट छापता था।
पुलिस की आगे की योजना
- फरार आरोपी राकेश तिवारी की तलाश तेज।
- पूरे राज्य में फैले संभावित नेटवर्क की इंटेलिजेंस सर्वे।
- FSL रिपोर्ट के लिए सैंपल भेजे गए।
- आरोपियों से जुड़ी बैंकिंग ट्रांजेक्शन और मोबाइल डेटा की जांच जारी।
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MP Nursing Colleges Verification: एमपी में नर्सिंग कॉलेजों की होगी सख्त जांच, 30 जून तक फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य
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मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा में सुधार के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 30 जून 2025 तक सभी नए और संदिग्ध नर्सिंग कॉलेजों का फिजिकल सत्यापन होगा। फर्जी कॉलेजों और CBI जांच में अपात्र पाए गए संस्थानों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। निरीक्षण के लिए संयुक्त टीमों का गठन किया जाएगा, जो प्रत्येक संस्थान का मूल्यांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।इस खबर को पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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