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Jabalpur JDA Clerk Case
Jabalpur JDA Clerk Case: मध्य प्रदेश के जबलपुर की लोकायुक्त अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जबलपुर विकास प्राधिकरण (Jabalpur Development Authority) के पूर्व लिपिक मुकेश दुबे को दोषी ठहराते हुए 4 साल की सजा के साथ 35 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
आपको बता दें कि 2012 में इनके घर पर छापे के दौरान वैध आय से 55% ज्यादा यानी 43.65 लाख रुपए की अनुपातहीन संपत्ति पाई गई थी। अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ये सजा सुनाई है।
इसी के साथ ये सजा भ्रष्टाचार करने वाले लोगों के लिए एक उदाहरण के रूप में भी साबित हो सकती है। आइए हम आपको इस मामले की पूरी जानकारी देते हैं।
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JDA के पूर्व अकाउंटेंट को सुनाई सजा
आपको बता दें कि लोकायुक्त अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के पूर्व लिपिक मुकेश दुबे को दोषी ठहराया है।
विशेष न्यायाधीश अमजद अली खान की अदालत ने मुकेश दुबे को चार साल के कारावास और 35 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
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आरोपी के पास नहीं था कोई हिसाब
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने बताया कि 14 फरवरी 2012 को लोकायुक्त ने आरोपी मुकेश दुबे के विजय नगर स्थित निवास पर छापा मारा था।
जांच में आरोपी के पास 43.65 लाख रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति पाई गई थी, जो उसकी और उसकी पत्नी की कुल वैध आय (75,13,141 रुपए) से 55% अधिक थी। इसके अलावा आरोपी के पास 1.19 करोड़ रुपए से अधिक के व्यय का कोई हिसाब नहीं था।
कोर्ट ने ठहराया दोषी
21 दिसंबर 2016 को लोकायुक्त ने आरोपी मुकेश दुबे के खिलाफ चालान पेश किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 45 गवाहों और आरोपी ने 33 गवाहों को पेश किया। पेश किए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।
जुर्माना नहीं भरने पर बढ़ेगी सजा
न्यायालय ने आरोपी मुकेश दुबे को चार साल के कारावास की सजा सुनाई और 35 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। यदि आरोपी जुर्माना नहीं भरता, तो उसे अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसमें न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर दोषी को सजा दी।
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