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Haq Movie Ban
हाइलाइट्स
शाहबानो पर बनी फिल्म पर रोक नहीं
हाईकोर्ट ने सिद्दिका बेगम की याचिका खारिज
फिल्म ‘हक’ 7 नवंबर को रिलीज
Haq Movie Ban: शाहबानो पर बनी फिल्म हक की रिलीज पर रोक लगाने की मांग को लेकर बेटी सिद्दिका बेगम की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। यानी फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने गुरुवार, 6 नवंबर को दिए फैसले में कहा- यह किसी की निजता का हनन नहीं है। इसके साथ ही हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शाहबानो की बेटी और कानूनी वारिस सिद्दिका बेगम खान की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें फिल्म की रिलीज, प्रदर्शन और प्रमोशन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी।
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फिल्म के डायरेक्टर्स को नोटिस भेजा
याचिका में सिद्दिका बेगम ने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने शाहबानो पर फिल्म बनाने से पहले उनकी कानूनी वारिस से कोई अनुमति नहीं ली। फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि दिखाई गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर सुपर्ण एस. वर्मा, जंगली पिक्चर्स, बावेजा स्टूडियोज और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के चेयरपर्सन को कानूनी नोटिस भी भेजा था।
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फिल्म में यामी गौतम और इमरान हाशमी मुख्य किरदार में हैं। इसका टीजर रिलीज कर दिया गया है।[/caption]
7 नवंबर को होगी 'हक' रिलीज
इससे पहले हाईकोर्ट ने 4 नवंबर को दो घंटे तक चली सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि फिल्म 'हक' 7 नवंबर को रिलीज होने वाली है।
निर्माता की दलील- फिल्म काल्पनिक कथा पर आधारित
फिल्म निर्माता जंगली पिक्चर्स के वकील ऋतिक गुप्ता और अजय बगड़िया ने कहा- हमने कोर्ट में दलील दी थी कि फिल्म एक काल्पनिक कहानी पर आधारित है। इसका मकसद किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। कोर्ट ने हमारे तर्कों से सहमति जताते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
कहा- फिल्म के डायलॉग खराब-आपत्तिजनक
4 नवंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सिद्दीका बेगम की तरफ से एडवोकेट तौसीफ वारसी, जंगली पिक्चर की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागडिया, इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेट सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से हितेश मेहता और मिनिस्ट्री ऑफ ब्रॉडकास्ट की ओर से एडवोकेट रोमेश दवे मौजूद थे।
एडवोकेट तौसीफ वारसी ने अपनी बात रखते हुए कहा- फिल्म के टीजर और ट्रेलर में कुछ ऐसे ईवेंट्स दिखाए गए हैं, जो मेरी मुवक्किल की मां की इज्जत और सम्मान को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमें डायलॉग के कुछ वर्जन बेहद खराब और आपत्तिजनक हैं। असल जिंदगी में उनके माता-पिता के बीच ऐसे संवाद कभी नहीं हुए।
एक तरफ फिल्म के निर्माता ये कहते हैं कि शाहबानो बेगम ने बहुत संघर्ष किया। खासकर एक महिला के रूप में, जब महिला सशक्तिकरण आज की तरह मजबूत नहीं था। शाहबानो ने अपने पति से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने धर्म के पहलू को ध्यान में रखा और कोर्ट से अपने अधिकार हासिल किए।
दूसरी तरफ, फिल्म के डायलॉग परिवार की इज्जत को नुकसान पहुंचाते हैं, और ये तब है जब शाहबानो इस दुनिया में नहीं हैं।
'तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया'
एडवोकेट वारसी ने बताया कि यह फिल्म शाहबानो के जीवन और 1970 के दशक में महिलाओं के अधिकारों पर हुए ऐतिहासिक मुकदमे पर आधारित है, लेकिन इसमें बिना अनुमति और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
शाहबानो की बेटी की याचिका में यह भी कहा गया था कि फिल्म स्वर्गीय शाहबानो बेगम के निजी जीवन को दर्शाती है, जिसमें उनके परिवार से जुड़े कई संवेदनशील घटनाक्रम, व्यक्तिगत अनुभव और सामाजिक परिस्थितियां शामिल हैं।
वकील ने कहा था कि उनकी मुवक्किल सिद्दिका के पास अपनी मां शाहबानो के जीवन के नैतिक और कानूनी अधिकार सुरक्षित हैं।
फिल्म निर्माता बोले- प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली कोई बात नहीं
कोर्ट में जंगली पिक्चर की तरफ से सीनियर वकील अजय बागड़िया और इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेंट सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से हितेश मेहता ने यह कहा कि फिल्म के डायलॉग में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। न ही यह परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली बात है। ईवेंट्स को अच्छे नजरिए और बेहतर तरीके से फिल्माया गया है।
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