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MP Honey Trap Case: चर्चित हनी ट्रैप केस में पूर्व सीएम कमलनाथ को बड़ी राहत, CBI जांच की मांग वाली याचिका खारिज

चर्चित हनीट्रैप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इंदौर हाईकोर्ट से क्लीनचिट मिल गई है। अदालत ने सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

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Vikram Jain
MP Honey Trap Case: चर्चित हनी ट्रैप केस में पूर्व सीएम कमलनाथ को बड़ी राहत, CBI जांच की मांग वाली याचिका खारिज

हाइलाइट्स

  • चर्चित हनी ट्रैप मामले में कमलनाथ को राहत।
  • CBI जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज।
  • सबूत नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका।
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MP Honey Trap Case: मध्य प्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड की सीडी को लेकर लगाई गई जनहित याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हनी ट्रैप के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें क्लीन चिट देते हुए सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है।

कमलनाथ को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

मध्यप्रदेश के चर्चित हनीट्रैप मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इंदौर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुरुवार (10 जुलाई) को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उनके खिलाफ CBI जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?

मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डबल बेंच ने कमलनाथ के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही उन्हें क्लीनचिट दे दी है। कोर्ट ने कहा कि आरोप मीडिया रिपोर्ट पर आधारित हैं और याचिका में कोई सच साबित नहीं हुआ। बीजेपी नेताओं की पैन ड्राइव होने के बयान के सबूत नहीं होने के चलते याचिका खारिज कर दी गई।

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2023 में दायर की थी याचिका

यह याचिका 2023 में एडवोकेट भूपेंद्र सिंह ने दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि कमलनाथ ने बयान दिया था कि उन्होंने हनीट्रैप से जुड़ी कुछ वीडियो क्लिप्स देखी हैं और उनके पास बीजेपी नेताओं से जुड़ी पैन ड्राइव भी है, लेकिन उन्होंने ये सब जांच एजेंसी SIT को नहीं सौंपी। याचिका में पुलिस, कमलनाथ और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह को पार्टी बनाया था।

खबरों आधार पर आरोप लगाना सही नहीं

कोर्ट ने याचिकाकर्ता एडवोकेट से बयान के तथ्यों को लेकर डिटेल्स मांगी थी। तब कोर्ट में बताया गया था इस बयान को लेकर कई मीडिया चैनल पर वीडियो चले हैं। अखबारों में खबरें भी प्रकाशित हुईं थी। साथ ही कोर्ट ने बयान की सीडी कोर्ट में पेश नहीं करने को लेकर भी सवाल उठाए।

कोर्ट ने तर्क दिया कि मीडिया रिपोर्ट्स चाहे कितनी भी विश्वसनीय क्यों न हों, के आधार पर आरोप लगाना न्यायिक रूप से अनुचित है, जब तक कि वास्तविक सबूत कोर्ट में प्रस्तुत न किए जाएं। विशेष रूप से, वह सीडी, USB या पैन ड्राइव जैसे डिजिटल तथ्य अदालत में नहीं रखे गए। इसके साथ ही याचिका को खारिज कर दिया गया।

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