MP Nursing Students News: मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाले के कारण सफर कर रहे स्टूडेंट्स के लिए जबलपुर हाईकोर्ट से अच्छी खबर आई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अपात्र नर्सिंग कॉलेजों के करीब 10 हजार स्टूडेंट्स को 30 दिन में पात्र कॉलेजों में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़ा मामले की सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों में छात्र नहीं मिले हैं, वे छात्र अपात्र होंगे और उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने की पात्रता नहीं होगी।
300 कॉलेज सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए
हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता संबंधी ओरिजिनल फाइलों को याचिकाकर्ता द्वारा अवलोकन के बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं। इसमें तुलनात्मक रूप से यह बताना होगा कि जो 300 कॉलेज सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए उन्हें आखिर किन हालात और किन-किन कमियों के होते हुए भी निरीक्षणकर्ता अधिकारियों द्वारा अनुमति दी गई।
यहां बता दें, नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर की थी। 28 मार्च को केस की सुनवाई हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने की थी।
याचिकाकर्ता की रिपोर्ट से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
हाईकोर्ट ने पहले भी प्रदेश के कॉलेजों की मान्यता की फाइलें तलब कर याचिकाकर्ता को अवलोकन करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में प्रदेश में कागजों पर चल रहे कॉलेजों और फैकल्टी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।
महीनेभर में ट्रांसफर, 4 अप्रैल को सुनवाई
याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में एक अन्य आवेदन पेश कर बताया कि नर्सिंग काउंसिल द्वारा अपात्र कॉलेजों के छात्रों को पात्र कॉलेजों में ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है।
अपात्र कॉलेजों के पास उन्हें पढ़ाने और प्रशिक्षण देने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिए कि सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए कॉलेजों में नामांकित छात्रों को 1 महीने के भीतर पात्र कॉलेजों में ट्रांसफर किया जाए। इस मामले में अगली सुनवाई दो दिन बाद यानी 4 अप्रैल को होगी।
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CBI जांच में सही पाए गए स्टूडेंट ही नामांकन-परीक्षा के पात्र
- सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों में स्टूडेंट्स नहीं मिले हैं, उन कॉलेजों के स्टूडेंट्स को एनरोलमेंट और परीक्षा में बैठने की पात्रता नहीं होगी।
- कई कॉलेजों ने सीबीआई जांच के दौरान कॉलेज में स्टूडेंट नहीं होने की जानकारी दी थी।
- कई कॉलेजों ने सीबीआई को एडमिशन के रिकॉर्ड दिखाने से इनकार कर दिया था।
- इसी आधार पर सीबीआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी थी।
- बाद में हाईकोर्ट ने छात्र हित में सभी पात्र, अपात्र और डिफिशिएंट कॉलेजों के स्टूडेंट्स का नामांकन कर परीक्षा में बैठाने के निर्देश दिए।
- तब सभी कॉलेज छात्रों के बैक डेट में एडमिशन दर्शा कर एनरोलमेंट और परीक्षा में बैठाने के आवेदन करने लगे।
- वे कॉलेज भी छात्रों का एनरोलमेंट कराना चाहते हैं, जो सीबीआई जांच में अस्तित्व में ही नहीं पाए गए हैं।
- हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद अपने पूर्व आदेश में संशोधन करते हुए नए निर्देश दिए हैं।
- जिस कारण से अब कॉलेजों और छात्रों के एनरोलमेंट सीबीआई जांच रिपोर्ट के आधार पर ही किए जाएंगे।
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