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MP हाईकोर्ट: रेप पीड़िता नाबालिग बच्चे को दे सकती है जन्म, निर्देश-दुष्कर्म से जन्मे बच्चों को मिले भोजन-शिक्षा, सुरक्षा

MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता से जन्मे बच्चे की जिम्मेदारी उठाने को लेकर सरकार को दिशा-निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे बच्चों की पढ़ाई, रहन-सहन और संरक्षण की योजना बनाई जाए।

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BP Shrivastava
MP High Court

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MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने एक नाबालिग से रेप के मामले में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म या यौन शोषण से जन्मे बच्चों के लिए सरकार को खाने, रहने और शिक्षा देने की योजना बनानी चाहिए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर नाबालिग पीड़िता और उसके माता-पिता बच्चे को किसी को देना चाहते हैं, तो सरकार को इससे जुड़े नियम आसान बनाने चाहिए।

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कोर्ट ने सरकार को दिए मदद के आदेश

जानकारी के मुताबिक, मामला मंडला की एक नाबालिग लड़की का है, जो दुष्कर्म की शिकार हो गई और गर्भवती हो गई। उसने हाई कोर्ट से अपील की कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है। कोर्ट ने उसकी बात मानी और सरकार को मदद करने का आदेश दिया।

मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि गर्भ में पल रहा बच्चा लगभग 30 हफ्तों का है और गर्भपात करने से पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए सेशन कोर्ट ने मामला हाई कोर्ट को भेजा था।

पीड़िता और बच्चे की पहचान गुप्त रखी जाए

जस्टिस विनय सराफ ने कहा कि अगर कोई नाबालिग बच्चा मां बनना चाहती है, तो सरकार को उसकी हर संभव सहायता करनी चाहिए। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई का खर्च भी सरकार को उठाना चाहिए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पीड़िता और उसके बच्चे की पहचान किसी भी हालात में उजागर नहीं होनी चाहिए।

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