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MP High Court का अहम फैसला : सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का कोई अधिकार नहीं, खाली कराया जा सकता है घर

Property Dispute Case MP High Court:मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का कोई हक नहीं है। माता-पिता के भरण पोषण अधिनियम के तहत दामाद से घर खाली कराया जा सकता है।

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Bansal news
MP High Court का अहम फैसला : सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का कोई अधिकार नहीं, खाली कराया जा सकता है घर

Property Dispute Case MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा सास ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का कोई हक नहीं है। अगर दामाद को घर खाली करने के लिए कहा जाता है तो घर खाली करना होगा ।दरसल भोपाल के एक युवक ने अपने ससुर के मकान को खाली करने के आदेश के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा माता पिता के भरण पोषण अधिनियम के तहत दामाद से मकान खाली कराया जा सकता है।

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क्या था मामला

भोपाल के निवासी दिलीप मरमठ अपने ससुर नारायण वर्मा के यहाँ रहते थे। कुछ समय पहले नारायण वर्मा ने एसडीम कोर्ट में माता पिता के भरण पोषण अधिनियम के तहत दामाद से मकान खाली करवाने की अपील की थी। इसके बाद वहां से मकान खली करने का आदेश आया , इस आदेश के खिलाफ दिलीप ने भोपाल कलेक्टर के पास अपील की थी। जिसे ख़ारिज कर दिया गया था ।जिसके बाद दामाद ने हाईकोर्ट में अपील की जहां इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया।

याचिका में दामाद ने कहा

आदेश के खिलाफ याचिका में दामाद ने कोर्ट में कहा था कि उसने मकान बनवाने के लिए 10 लाख रुपए की राशि दिए थे जिसका स्टेटमेंट भी प्रस्तुत किया। इसके बाद भी कोर्ट ने उसके खिलाफ फैसला सुना दिया।

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कोर्ट ने कहा घर खाली करना होगा

फैसला सुनते हुए कोर्ट ने कहा ससुर ने दामाद को रहने की इज्जाजत दी थी। इसका मतबल ये नहीं है कि दामाद का घर पर अधिकार हो जायेगा।भले ही उसने घर के निर्माण के लिए पैसे खर्च किये हो। माता पिता के पोषण अधिनियम के तहत मकान खाली करना होगा।सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का कोई अधिकार नहीं होता जब तक प्रॉपर्टी उसके नाम पर न हो।

दामाद ने की दूसरी शादी

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया की नरायणवर्मा ने अपने दामाद को घर में रहने की अनुमति दी थी इसके बदले दामाद ने उनके बुढ़ापे में देख रेख का वादा किया था। 2018 में उनकी बेटी की मौत के बाद उनके दामाद ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी शादी के बाद दामाद ने खाना -पीना देना बंद कर दिया और अपना वादा तोड़ दिया।

रिटायर्ड कर्मचारी है बुजुर्ग

पीड़ित बुजुर्ग बीएचएल के रिटायर्ड कर्मचारी है,उन्हें अपने बीमार बीबी और बच्चों के लिए मकान की जरुरत है।कोर्ट ने माता पिता के भरण पोषण अधिनियम के तहत ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया।

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