Gwalior HC Bench Order: मध्यप्रदेश की हाईकोर्ट बेंच ग्वालियर ने एक अनूठा आदेश जारी कर दिया, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। आदेश में जिस आरोपी की जमानत खारिज होनी थी उसे जमानत मिल गई। वहीं जिसे जमानत मिलना थी वह खारिज हो गई।
हालांकि, आदेश में टाइपिंग की यह गलती जैसे ही पकड़ में आई, तत्काल आदेश को रोक दिया गया और फिर दोनों आदेश कोर्ट ने वापस ले लिए।
इस पूरी प्रक्रिया में सात घंटे से ज्यादा समय लग गया। मामले में सोमवार, 11 अगस्त को संशोधित आदेश निकाला गया है। जिसमें हलके आदिवासी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
गलत आदेश खारिज, नया आदेश जारी
कोर्ट की यह टाइपिंग मिस्टेक 8 अगस्त को सुबह पौने 11 बजे जो आदेश अपलोड हुआ, उसमें हो गई थी। जिसमें हलके आदिवासी को जमानत दी गई थी, इस आदेश को सोमवार को निरस्त कर दिया गया और हलके आदिवासी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। जबकि अशोक आदिवासी को जमानत दे दी गई।
आदेश वेबसाइट पर भी हो गया था अपलोड
मामले में हाई कोर्ट की वेबसाइट पर आदेश अपलोड होते ही आरोपी हलके आदिवासी के वकील ने जमानत भरवा ली और रिहाई का आदेश जेल भी पहुंच गया। हालांकि, हाई कोर्ट की समय रहते दिखाई गई तत्परता के चलते आरोपी की रिहाई रुक दी गई।
क्या है मामला ?
विदिशा के त्योंदा थाना क्षेत्र में 5 जुलाई 2024 की शाम प्रकाश पाल दुकान पर बैठा हुआ था। तभी हलके आदिवासी और धर्मेंद्र आदिवासी ने उसकी डंडे और पत्थर से हत्या कर दी। इस मामले में हलके को त्योंदा पुलिस ने 8 जुलाई 2024 को और अशोक को 10 जुलाई 2024 को गिरफ्तार किया।
दोनों की ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी। 7 अगस्त को दोनों याचिकाओं पर सुनवाई हुई। 8 अगस्त को सुबह पौने 11 बजे के लगभग आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट अपलोड हुआ। इसमें हलके को जमानत मिली और अशोक की याचिका खारिज कर दी गई।
कोर्ट ने वकील को आया फोन
आरोपी हलके आदिवासी के वकील अमीन खान ने बताया कि दोपहर तीन बजे के करीब मोबाइल पर कॉल आया। जिसमें बताया गया कि आपके क्लाइंट के आदेश में टाइपिंग मिस्टेक हो गई है। उसकी जमानत न भरवाएं।