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MP High Court: हाई कोर्ट में AAG की लापरवाही, सरकारी वकीलों से HC नाराज, CS को लिखा- शासनहित की रक्षा के लिए इच्छुक नहीं

Madhya Pradesh High Court Lawyers Controversy: मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। सरकारी वकीलों की इस लापरवाही पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई।

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sanjay warude
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Madhya Pradesh High Court Lawyers Controversy: मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। सरकारी वकीलों की इस लापरवाही पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए मप्र के मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए लिखा हैं।

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दरअसल, हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच जिस मामले की सुनवाई कर रही थी, उस मामले के सरकार भेजे गए आवेदन पर किसी भी सरकारी वकील के हस्ताक्षर नहीं थे। इसमें यह भी सामने आया कि सरकारी वकीलों ने आवेदन को पढ़ा तक नहीं। अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता और पैनल अधिवक्ता समेत कुल 35 वकील हैं।

अधिकारी बरत रहे गंभीर लापरवाही

हाईकोर्ट की बेंच ने एमपी के मुख्य सचिव को पत्र में लिखते हुए यह टिप्पणी की है कि एएजी कार्यालय के यह अधिकारी गंभीर लापरवाही बरत रहे हैं। यह शासनहित की रक्षा के लिए इच्छुक नहीं है। कोर्ट ने सीएस को इसी आधार पर कार्रवाई करने के लिए लिखा है।

23 साल पहले की थी अपील

दरअसल, 25 अक्टूबर 2002 को सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया था, जो शिवपुरी के पटवारी हल्का नंबर 59घ्1 की जमीन के वारिसों को लेकर है। पहली अपील में गीर्ता शर्मा और होशियार सिंह राणा पक्षकार थे। होशियर सिंह की मौत के बाद वारिसों को रिकार्ड में लाने के लिए आवेदन दिया गया था।

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दूसरी अपील में नहीं थे हस्ताक्षर

सरकार की ओर से 2004 में सेकंड अपील दायर की गई, लेकिन इसमें वारिसों का नाम नहीं लिखा था। जिसपर किसी सरकारी वकील के हस्ताक्षर नहीं थे। सिर्फ तहसीलदार के हस्ताक्षर थे।

पंचनामा आवेदन का हिस्सा नहीं

मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कुछ डॉक्यूमेंट पेश किए। सरकार की ओर से बताया गया कि आवेदन के साथ जो पंचनामा प्रस्तुत किया है, इसमें मृत लोगों के वारिसों के नाम भी शामिल हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इसमें यह क्लियर नहीं किया है कि ये पंचनामा आवेदन का हिस्सा है या नहीं।

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