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MP हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: निजी शिक्षण संस्थान के स्टाफ को 2007 से मिलेगा नियमित वेतनमान

Madhya Pradesh News; MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने शिक्षण संस्थानों के स्टाफ को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

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Kushagra valuskar
MP हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: निजी शिक्षण संस्थान के स्टाफ को 2007 से मिलेगा नियमित वेतनमान

MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने शिक्षण संस्थानों के स्टाफ को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जिनका 2002 में सरकार के आदेश से संबंधित स्थानीय निकायों में समायोजन किया था। हाईकोर्ट ने कहा, 'इन संस्थानों के कर्मचारी को नियमित सैलरी का लाभ 1 अप्रैल 2007 से दिया जाए।'

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राज्य शासन की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश विवेक रूसिया और न्यायाधीश गजेंद्र सिंह की बेंच ने कहा कि 21 मार्च 2002 को सरकार ने आदेश जारी किया था। उसमें निश्चित किया था कि वह किसी प्राइवेट स्कूल की जवाबदेही नहीं लेगी। वहीं, कार्यरत स्टाफ की सेवाएं राज्य शासन में समायोजित नहीं करेगी।

स्टाफ को वेतन देने का जिम्मा स्थानीय निकाय का

आदेश में स्थानीय निकाय को निजी स्कूल को समायोजित करने और स्टाफ को संविदा पर समायोजित करने की बात कही गई। ऐसे में 2002 के आदेश का पालन करने की जवाबदारी स्थानीय निकायों की थी। इसके बाद शासन केस लड़ता रहा।

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मामला उज्जैन निवासी वीर सिंह का है। वह रविशंकर समिति द्वारा संचालित गैर शासकीय स्कूल में प्रिंसिपल थे। 22 मार्च 2002 के आदेश के तहत उनके विद्यालय का समायोजन जिला पंचायत उज्जैन में हुआ। वीर सिंह ने 2021 में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें शासन का नियमित कर्मचारी मानते हुए प्राचार्य (स्कूल शिक्षा विभाग) के समान सैलरी और भत्तों का लाभ मिलना चाहिए।

अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर ने कहा

सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर ने कहा कि शासन के आदेश में स्थानीय निकाय को समायोजन की जिम्मेदारी दी थी। खेडकर ने कहा, याचिकाकर्ता को शिक्षण संस्थानों में कार्यरत स्टाफ को अध्यापक संवर्ग में समायोजित करना था। वीर सिंह को संविदा शाला शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया था। इसलिए उन्हें वेतनमान का लाभ नहीं मिल सकता है।

सरकार को होगा करोड़ों रुपये का लाभ

विवेक खेडकर ने कहा, 'कई शिक्षक को इन शिक्षण संस्थानों में कार्यरत हैं। उन्हें अगर 22 मार्च 2002 से नियमित वेतनमान का लाभ मिलता है तो प्रत्येक को लगभग 20 लाख का भुगतान और पेंशन का लाभ देना पड़ेगा।' इस आदेश के चलते शासन को राहत मिली है।

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