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हाइलाइट्स
- हाईकोर्ट में पहली बार एक साथ 10 स्पेशल बेंचों का गठन।
- बार एसोसिएशन की अपील पर चीफ जस्टिस का फैसला।
- कोर्ट में 4.80 लाख पेंडिंग मामलों में हजारों जमानत याचिकाएं।
MP High Court Special benches formed: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सालों से पेडिंग केसों की भारी संख्या ने न्याय व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। फिलहाल करीब 4.80 लाख केस पेंडिंग हैं, जिनमें हजारों जमानत याचिकाएं भी शामिल हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा (Chief Justice Sanjeev Sachdeva) ने 10 स्पेशल बेंचों का गठन किया है, जो हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार हो रहा है। शनिवार से इन बेंचों में सुनवाई की शुरुआत होगी। इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।
पहली बार हाईकोर्ट में एक साथ 10 विशेष बेंच
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने 10 स्पेशल बेंचों का गठन किया है। यह कदम बार एसोसिएशन की अपील के बाद उठाया गया, जिसमें लंबित मामलों की संख्या और सुनवाई में हो रही देरी पर चिंता जताई गई थी।
हाईकोर्ट में कितने केस लंबित?
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में इस समय करीब 4 लाख 80 हजार मामले लंबित हैं। इनमें से मुख्य पीठ जबलपुर में लगभग 3 हजार जमानत याचिकाएं फाइलों में दबकर फैसले का इंतजार कर रही हैं। मौजूदा समय में केवल 41 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं, जबकि हाईकोर्ट के लिए कुल 53 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं। ऐसे में हर न्यायाधीश के ऊपर मामलों का अत्यधिक बोझ है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
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जमानत याचिकाएं महीनों से लंबित
जेलों में बंद कई विचाराधीन कैदी ऐसे हैं जिनकी जमानत याचिकाएं महीनों से लंबित हैं, लेकिन सुनवाई समय पर नहीं हो पा रही। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए गठित 10 स्पेशल बेंचों से उम्मीद है कि ऐसे मामलों का त्वरित निपटारा हो सकेगा, जिससे आम लोगों को समय पर न्याय मिलना सुनिश्चित किया जा सकेगा।
इन जजों को दी गई विशेष जिम्मेदारी
स्पेशल बेंच में नियुक्त 10 जजों के नाम
- जस्टिस अचल कुमार पालीवाल
- जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल
- जस्टिस देवनारायण मिश्रा
- जस्टिस दीपक खोत
- जस्टिस अजय कुमार निरंकारी
- जस्टिस हिमांशु जोशी
- जस्टिस रामकुमार चौबे
- जस्टिस रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन
- जस्टिस बी.पी. शर्मा
- जस्टिस प्रदीप मित्तल
लोक अदालत और मीडिएशन से मिल रही मदद
बीते वर्षों में लोक अदालतों और मीडिएशन केंद्रों के जरिए भी मामलों के निराकरण में तेजी आई है, लेकिन यह लंबित मामलों की संख्या के मुकाबले अब भी अपर्याप्त है।
बार एसोसिएशन ने की थी मांग
दरअसल, बार एसोसिएशन अध्यक्ष डी.के. जैन और सचिव परितोष त्रिवेदी ने हाल ही में चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर लंबित केसों को लेकर चिंता जताई थी और स्पेशल बेंच गठित करने का आग्रह किया था।
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जजों की संख्या बढ़ाने की मांग
विशेषज्ञों और बार एसोसिएशन का मानना है कि बाकी बचे 12 स्वीकृत न्यायाधीशों की नियुक्ति जल्द की जाए, ताकि:
- न्यायपालिका पर दबाव कम हो।
- जनता को समय पर न्याय मिले।
- केसों की सुनवाई में तेजी आए।
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