हाइलाइट्स
-
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एडमिशन का केस
-
11 साल के बच्चे को 9वीं क्लास में मिलेगा एडमिशन
-
स्कूल प्रिंसिपल को प्रोविजनल एडमिशन देने का आदेश
MP High Court School Admission Case: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 साल के विलक्षण प्रतिभा वाले बच्चे को 9वीं क्लास में एडमिशन देने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने CBSE के चेयरमैन और सेंट कॉन्वेंट स्कूल रांझी के प्रिंसिपल को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता स्टूडेंट को प्रोविजनल प्रवेश दें। कोर्ट ने कहा कि बालक के समग्र प्रदर्शन को देखते हुए CBSE चेयरमैन कक्षा 9वीं में उसके प्रवेश के संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे।
‘नाबालिग होने से असाधारण गुणों को अनदेखा नहीं कर सकते’
हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग होने के आधार पर असाधारण गुणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। आयु सीमा संबंधी शर्त लगाकर शिक्षा के अधिकार को कम नहीं किया जा सकता। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें यदि कोई नाबालिग बच्चा असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, तो उसे उच्च शिक्षा की अनुमति दी गई है।
19 मार्च 2014 को हुआ आरव का जन्म
जबलपुर निवासी आरव सिंह पटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और हितेंद्र गोल्हानी ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि छात्र का जन्म 19 मार्च 2014 को हुआ था। कक्षा 1 से 8वीं तक का मेरिटोरियस रिकॉर्ड रहा है।
कम उम्र के बाद भी A ग्रेड में पास की सभी क्लास
आरव की विलक्षण बुद्धि को देखते हुए उनके माता-पिता ने CBSE द्वारा निर्धारित न्यूनतम आयु सीमा से कम की उम्र में ही सेंट कान्वेंट स्कूल रांझी में प्रवेश दिला दिया। कम उम्र होने के बावजूद आरव ने सभी कक्षाओं में सभी विषयों में A श्रेणी में उत्तीर्ण की। कम आयु के चलते उसे नौवीं कक्षा में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया। CBSE के अधिकारियों से आवेदन देकर अनुमति मांगी गई। राहत नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।
आरव का होगा IQ टेस्ट
स्कूल के प्राचार्य बालक की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि तीन विशेषज्ञों के मेडिकल बोर्ड का गठन करें जिसमें मनोचिकित्सक और एक परामर्शदाता शामिल रहें। बालक CBSE बोर्ड के समक्ष उपस्थित होगा, ताकि उसके IQ लेवल का मूल्यांकन किया जा सके। इसकी रिपोर्ट CBSE चेयरमैन को दी जाएगी।