Mandsaur Farmer Protest: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 2017 के मंदसौर किसान गोलीकांड पर जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। आयोग द्वारा राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के 6-7 साल बीत चुके हैं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जांच आयोग अधिनियम में कोई परिणाम नहीं दिया गया था, यदि आयोग की रिपोर्ट 6 महीने की समयावधि के भीतर विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गई थी, जैसा कि उल्लेख किया गया है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रावधान में शब्द ‘करेगा’ का उल्लेख किया गया है, फिर भी समय सीमा का पालन न करने के लिए कोई परिणाम नहीं दिया गया है। अदालत ने कहा कि यह सही है कि अधिनियम, 1952 की धारा 3 (4) में “करेगा” शब्द है जो प्रकृति में अनिवार्य है। यह भी सही है कि आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन को संसद अथवा विधानमंडल, जैसा भी मामला हो, के समक्ष समुचित सरकार द्वारा 6 माह की अवधि के भीतर उस पर की गई कार्रवाई के साथ जहां तक संभव हो, सभा पटल पर रखने का प्रावधान है। यह भी सही है कि यदि रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख से 6 महीने की अवधि के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती है तो अधिनियम में कोई परिणाम नहीं दिया गया है।
अदालत ने कहा कि यदि जांच रिपोर्ट विधानमंडल के सामने नहीं पेश की गई, तो विधानमंडल का कोई भी सदस्य राज्य विधानमंडल में सवाल उठाकर मांग कर सकता था।
6 महीने की अवधि काफी पहले खत्म
कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में संसद के प्रत्येक सदन या राज्य के विधानमंडल के समक्ष रिपोर्ट रखने के लिए 6 महीने की बाहरी सीमा तय की गई है। पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में 6 महीने की अवधि काफी पहले खत्म हो चुकी है और जांच का उद्देश्य सिर्फ ये जानना है कि किन परिस्थितियों में ये घटना हुई और भविष्य में ऐसी घटना रोकने के लिए क्या सुझाव मंगाए गए।
‘ये FIR के मामले’
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक पुलिस की कार्रवाई या किसानों की जवाबी कार्रवाई का सवाल है, ये FIR विषय हैं जिनमें पुलिस द्वारा आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
याचिका में क्या है ?
याचिका में कहा गया है कि 2017 में मंदसौर के किसानों ने मूल्य वृद्धि और सरकार की नीतियों के प्रतिकूल होने का विरोध करना शुरू किया था। 6 जून 2017 को आंदोलन में पुलिस ने किसानों को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे 5 किसानों की मौत हो गई। कई घायल हुए। मंदसौर से 12 किलोमीटर दूर पारसनाथ चौपाटी में दोपहर 12:45 बजे पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी किसानों पर गोलियां चलाईं। 2 किसानों की मौत हो गई। याचिका में दावा किया कि एक दूसरी जगह पर गोलीबारी में 3 किसानों की मौत हुई। पुलिस ने दावा किया कि आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी।
जैन आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट
मध्यप्रदेश सरकार ने गोलीकांड की जांच के लिए जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता में जैन आयोग बनाया और जांच के आदेश दिए। इस आयोग ने 13 जून 2018 को सरकार को गोलीकांड की रिपोर्ट सौंपी। 6 साल के बाद भी गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई और कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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हाईकोर्ट ने क्या कहकर खारिज की याचिका
हाईकोर्ट ने सुदेश डोगरा बनाम भारत संघ (2014) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे आयोगों की रिपोर्टों को हमारे विचार में राज्य सरकारों द्वारा निष्पक्ष रूप से देखा जाना चाहिए और सुशासन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने और कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जैन आयोग की रिपोर्ट सौंपे 6 साल से अधिक समय बीत चुका है, इसलिए इस स्तर पर रिपोर्ट को पटल पर रखने के लिए रिट जारी करना उचित नहीं होगा। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उपरोक्त के मद्देनजर, अब 6-7 साल बीत जाने के बाद, हमें प्रतिवादी नंबर 4 के समक्ष उपरोक्त रिपोर्ट रखने के लिए रिट जारी करने का कोई आधार नहीं मिलता है।
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