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रिट अपील खारिज: एमपी हाईकोर्ट ने शिक्षाकर्मियों को नियमित नपा कर्मियों के बराबर लाभ प्राप्त करने का अधिकार रखा बरकरार

MP High Court Order: हाईकोर्ट बेंच ने नगरपालिका के नियमित नगरपालिका कर्मचारियों और शिक्षाकर्मियों के बीच अंतर करने के तर्क को खारिज कर दिया।

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Rahul Sharma
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MP High Court Order: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षाकर्मियों को नियमित नपा कर्मियों के बराबर लाभ प्राप्त करने का अधिकार बरकरार रखा है। फैसला एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ की जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने दिया है।

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हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि 1998-99 में नगरपालिका नियमों के तहत शुरू में नियुक्त और बाद में राज्य शिक्षा सेवा में विलय किए गए शिक्षक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से पेंशन सहित सभी सेवा लाभों के हकदार हैं। बेंच ने नगरपालिका के नियमित नगरपालिका कर्मचारियों और शिक्षाकर्मियों के बीच अंतर करने के तर्क को खारिज कर दिया।

26़ साल पुराना है विवाद

यह विवाद 26 साल पुराना है। वर्ष 1998-99 में की गई नियुक्तियों के बाद ये मामला सामने आया था। प्रतिवादियों को मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद, मंदसौर द्वारा शिक्षाकर्मी ग्रेड-I के रूप में नियुक्त किया गया।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1851229752851587088

उनकी नियुक्तियां मध्य प्रदेश नगरपालिका शिक्षा कर्मी (भारती तथा सेवा शर्तें) नियम 1998 द्वारा शासित थीं, जबकि शुरू में उन्हें 1000-30-1600 रुपये के वेतनमान में नियुक्त किया गया।

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उन्हें तीन साल की परिवीक्षा के बाद नियमित कर दिया गया। 12 साल की सेवा पूरी करने के बावजूद उन्हें नगरपालिका शिक्षकों के लिए लागू नियमित वेतनमान से वंचित कर दिया गया।

नियुक्ति के 7 साल बाद शुरु हुई पेंशन में किया शामिल

अप्रैल 2007 से उन्हें 4000-8000 रुपये का वेतनमान मिला लेकिन उन्होंने 1998 के नियमों के नियम 7 के तहत 5000-8500 रुपये की पात्रता का दावा किया। नगरपालिका ने उन्हें मकान किराया भत्ता, कर्मचारी बीमा और चिकित्सा सुविधाओं जैसे लाभों से भी वंचित कर दिया।

1998 से काम करने के बावजूद उन्हें 2005 में शुरू की गई अंशदायी पेंशन योजना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। जबकि कोर्ट ने 1998 के नियमों के तहत नियुक्ति प्रक्रियाओं और सेवा शर्तों में कोई अंतर नहीं पाया।

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हाई कोर्ट में ये दिये गए तर्क

अपीलकर्ता नगरपालिका ने तर्क दिया कि 1998 के नियमों के तहत सभी लाभ प्रतिवादियों को पहले ही प्रदान किए जा चुके हैं। उन्होंने तर्क दिया कि 2008 के नियमों के तहत शिक्षक नियमित नगरपालिका कर्मचारी नहीं बल्कि राज्य सरकार के कर्मचारी थे।

डॉ. केएम शर्मा बनाम छत्तीसगढ़ राज्य (2022) 11 एससीसी 436 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि नगरपालिका शिक्षक और शिक्षाकर्मी अलग-अलग नियमों के तहत अलग-अलग चयन विधियों के साथ नियुक्त होने के कारण समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत के आधार पर वेतनमान में समानता का दावा नहीं कर सकते।

इस बीच प्रतिवादी शिक्षकों ने कहा कि उनकी लंबी सेवा और नियमितीकरण के बावजूद, उन्हें नियमित नगरपालिका कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों से वंचित किया गया। उन्होंने अंशदायी पेंशन योजना के बजाय उचित वेतनमान सेवा लाभ और नियमित पेंशन लाभ की मांग की।

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कोर्ट ने माना- नपाकर्मी और शिक्षाकर्मियों की सेवा शर्तों में अंतर नहीं

सबसे पहले 1998 के नियमों और संबंधित नगरपालिका कानूनों के तहत नियुक्ति प्राधिकारी' की परिभाषा की जांच करते हुए अदालत ने नियमित नगरपालिका कर्मचारियों और 1998 के नियमों के तहत नियुक्त शिक्षाकर्मियों के बीच नियुक्ति प्रक्रियाओं और सेवा शर्तों में कोई अंतर नहीं पाया।

दूसरा कोर्ट ने प्रासंगिक नियमों के विकास का विश्लेषण किया यह देखते हुए कि 2008 के नियमों में 1998 के नियमों के तहत नियुक्त शिक्षाकर्मियों के विलय का प्रावधान था। इन नियमों के तहत शिक्षक नगरीय निकाय के प्रशासनिक और अनुशासनात्मक नियंत्रण में रहे, जो स्कूल शिक्षा विभाग में नियमित शिक्षकों के समान लाभ के हकदार थे।

तीसरा कोर्ट ने मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा सेवा (शिक्षण संवर्ग) सेवा शर्तें और भर्ती नियम, 2018 के प्रभाव पर विचार किया, जिसने स्थानीय निकायों के तहत नियुक्त सभी शिक्षकों को राज्य शिक्षण संवर्ग में विलय कर दिया।

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हाईकोर्ट ने खारिज की रिट अपील

एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस विलय ने उन्हें प्रभावी रूप से राज्य सरकार के कर्मचारी बना दिया है, तथा उनकी सेवाएं उनकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथियों से गिनी जाएंगी।

न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति तिथियों से पेंशन लाभ सहित सभी लाभों के हकदार थे, क्योंकि अब वे सरकारी शिक्षकों के समान स्कूल शिक्षा विभाग के पूर्ण नियंत्रण में थे।

न्यायालय ने शिक्षकों के पूर्ण-सेवा लाभों के अधिकारों की रक्षा करने वाले निचली अदालत के आदेश की पुष्टि करते हुए रिट अपील खारिज की।

Indore Bench of High Court MP High Court Order Petition Of Shikshakarmis Bench Gave Instructions
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