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वीडियो क्लिप्स का हो रहा था दुरुपयोग
हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि आपराधिक मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। कई निजी संस्थाओं और यूजर्स द्वारा अदालती कार्यवाही के छोटे-छोटे हिस्सों को काटकर रील्स, मीम और क्लिप के रूप में पेश किया जा रहा था।
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अदालत का मानना है कि इस तरह की एडिटिंग से न सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता प्रभावित होती है, बल्कि लोगों तक गलत संदेश भी पहुंच सकता है। इसी आधार पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने फिलहाल लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने का आदेश दिया।
अब कैसे देख सकेंगे अदालती कार्यवाही
कोर्ट ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि जो भी व्यक्ति कार्यवाही देखना चाहता है, वह अब भी वेबेक्स (Webex) लिंक के जरिए ऐसा कर सकता है। रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया है कि वेबसाइट पर बिना किसी प्रतिबंध के वेबेक्स लिंक उपलब्ध कराए जाएं। लेकिन इसके साथ ही अदालत ने यह शर्त भी रखी है कि कोई भी व्यक्ति इस कार्यवाही की रिकॉर्डिंग नहीं कर सकेगा। यानी अब अदालत की कार्यवाही सिर्फ वेबेक्स पर लाइव देखी जा सकेगी, लेकिन उसे सेव या शेयर नहीं किया जा सकेगा।
कब तक लागू रहेगा आदेश
हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि यह रोक फिलहाल अस्थायी है और अगले आदेश तक लागू रहेगी। इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अरिहंत तिवारी ने बताया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को देश में सबसे अधिक देखा जाता था। यही वजह है कि गलत उपयोग की संभावना और भी बढ़ गई थी। उन्होंने दलील दी कि न्यायालय की कार्यवाही को लेकर बनाए जा रहे मीम और क्लिप न्यायिक गरिमा के खिलाफ हैं। अदालत ने इन दलीलों पर सहमति जताई और आदेश जारी कर दिया।
Waqf Bill Supreme Court: वक्फ कानून पर सुप्रीम फैसला, कुछ धाराओं पर SC ने लगाई रोक, 5 साल मुस्लिम होने की शर्त खारिज
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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार (15 सितंबर) को अहम अंतरिम आदेश दिया। अदालत ने साफ किया कि पूरे कानून को रोकने का कोई आधार नहीं है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।
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एमपी हाईकोर्ट की आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पूरी तरह बंद।[/caption]
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