MP High Court EWS Certificate: मध्यप्रदेश सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा है कि समाज के सभी वर्ग और जातियों के गरीबों को EWS सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया जाता है। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सरकार को 30 दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं।
मध्यप्रदेश सरकार पर आरोप
जबलपुर की एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी और सोशल जस्टिस संस्था की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 15(6) और 15(6) में स्पष्ट प्रावधान है EWS का प्रमाण पत्र सभी वर्गों को दिया जाएगा।
उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश सरकार ने EWS के 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के उद्देश्य से EWS प्रमाण पत्र केवल उच्च जाति के लोगों को ही जारी किए जाने की नीति 2 जुलाई 2019 को जारी की है। इसमें OBC, SC और ST वर्ग को EWS प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने का उल्लेख किया गया है। ये पॉलिसी संविधान के प्रावधानों से असंगत है, इसलिए इसे चुनौती दी गई है।
जनहित अभियान बनाम भारत संघ का मामला
इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि EWS आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा निराकरण कर दिया गया है। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि ये मामला जनहित अभियान बनाम भारत संघ का है, जिसमे संविधान के 103वें संशोधन की वैधानिकता को अपहेल्ड किया गया है, जबकि याचिका में उठाए मुद्दों पर फैसले में कहीं भी विचार नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को लेकर कन्फ्यूजन
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव सचदेवा ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से सीधा सवाल किया कि आप आरक्षित वर्ग की ओर से पैरवी कर रहे हैं या अनारक्षित वर्ग की ओर से। क्योंकि अगर आप आरक्षित वर्ग के कोटे से 10 प्रतिशत EWS की मांग कर रहे हैं तो इससे आरक्षित कोटा और कम हो जाएगा। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने साफ किया कि वो आरक्षित वर्ग से नहीं बल्कि EWS कैटेगरी से ही आरक्षित वर्ग के लोगों के लिए सर्टिफिकेट की मांग कर रहे हैं।
ये खबर भी पढ़ें: बुधनी SDM राधेश्याम बघेल को हटाया, RSS के बुजुर्ग पदाधिकारी से की थी बदसलूकी, वायरल हुआ था वीडियो
इस केस की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव कुमार सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, राम भजन लोधी और पुष्पेंद्र कुमार शाह ने पैरवी की। इस केस में हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। इस केस की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
ये खबर भी पढ़ें: पं.धीरेंद्र ने सनातनियों से पूछा सवाल सनातनी अपनी चीजों का मजाक क्यो उड़ाते है?