MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मौसम विभाग के सहायक नियंत्रक नसीमुद्दीन की याचिका को खारिज कर दिया है। उन्होंने अपने छिंदवाड़ा ट्रांसफर के खिलाफ आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें मुस्लिम होने के कारण दुर्भावनापूर्ण तरीके से रतलाम से दूर भेजा गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि एक स्थानीय भाजपा नेता के दबाव में यह कार्रवाई हुई।
ट्रांसफर का सांप्रदायिक रंग देना गलत
कोर्ट ने इन आरोपों को निराधार बताया। कहा कि अगर ऐसे बिना आधार के दावों को स्वीकार कर लिया जाए, तो प्रशासनिक कार्यप्रणाली बाधित होगी। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की पीठ ने कहा कि अगर हर ट्रांसफर को सांप्रदायिक रंग दिया जाने लगे, तो भविष्य में मुस्लिम अधिकारियों द्वारा गैर-मुस्लिम कर्मचारियों के स्थानांतरण पर भी ऐसे ही आरोप लग सकते हैं, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है।
कर्मचारियों को दूर स्थानों पर भेजा गया
याचिकाकर्ता ने एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया था कि उनके साथ-साथ चार अन्य मुस्लिम कर्मचारियों को भी जानबूझकर दूरस्थ स्थानों पर भेजा गया। हालांकि, राज्य के वकील ने इसका खंडन करते हुए कहा कि याचिका धर्म के आधार पर लाभ उठाने के इरादे से दायर की गई है। ट्रांसफर आदेश को अनावश्यक रूप से सांप्रदायिक बनाया जा रहा है।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि नसीमुद्दीन को पिछले वर्ष अक्टूबर में इंदौर में अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था, जिससे स्पष्ट है कि सरकार का कोई पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं था। अदालत ने माना कि बिना ठोस सबूतों के प्रशासनिक निर्णयों पर सांप्रदायिक आरोप लगाना उचित नहीं है।
पेंशनर्स की महंगाई राहत रोकी, एमपी हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ जारी किया वारंट
मध्य प्रदेश के 5.50 लाख पेंशनरों को महंगाई राहत (डीआर) देने में हुई देरी का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति लेने में हुई देरी के कारण पेंशनरों को 14 महीने तक डीआर का लाभ नहीं मिल पाया। इस मामले में इंदौर हाईकोर्टबेंच ने राज्य के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ पांच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। 24 मार्च को सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें