Devsar Land Acquisition Case: देवसर इलाके में जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर शुरू हुआ एक मामला अब उलट गया है। जिन जिला जज साहब ने इस केस को खारिज किया था, अब वहीं जांच के घेरे में आ गए हैं।
मामला, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट पहुंचा। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इसे हल्के में नहीं लिया। कोर्ट का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट जज दिनेश कुमार शर्मा ने केस की सुनवाई से इनकार कर न्याय को नजरअंदाज किया और नियमों की अनदेखी की।
क्या है पूरा मामला?
देवसर के रहने वाले मंगल शरण का आरोप है कि जिला प्रशासन ने उनकी जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी की। उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। जब प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिला, तो वे सीधे जिला अदालत गए।
वहां से भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। जज दिनेश शर्मा ने केस यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कलेक्टर ने इसका रेफरेंस नहीं भेजा है। इस फैसले से नाराज होकर मंगल शरण ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाई कोर्ट की सख्ती: जज के खिलाफ होगी जांच
हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए साफ कहा, ‘अगर नियमों का सही ढंग से अध्ययन किया गया होता, तो केस खारिज नहीं होता। यह न्याय में लापरवाही है।’
अब कोर्ट ने दो बड़े आदेश दिए हैं
जिस केस को खारिज किया गया था, उसका 30 दिन में निपटारा किया जाए ताकि पीड़ित को इंसाफ मिल सके।
जज दिनेश शर्मा ने पिछले 5 सालों में जिन-जिन जिलों में काम किया है, वहाँ की सभी फाइलों की जांच की जाए और 90 दिनों के अंदर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी जाए।
पूर्व जजों की प्रतिक्रिया
इस फैसले को लेकर कई रिटायर्ड जजों ने भी हैरानी जताई है। उनका कहना है, ‘किसी जिला जज की पांच साल की सभी फाइलों की जांच का आदेश हमने पहली बार सुना है। ये तभी संभव है जब कहीं न कहीं लगातार गड़बड़ियां रही हों। हाई कोर्ट ने ये फैसला बिना ठोस आधार के नहीं लिया होगा।’
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