MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फिलहाल नेशनल हाइवे-69 के निर्माण पर पहले लगाई रोक बरकरार रखी है। दरअसल, सतपुड़ा-मिडघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से भोपाल-बैतूल नेशनल हाइवे-69 के निर्माण नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी की अनुमति के बिना किए जाने को चुनौती दी गई थी।
NTCA ने क्या कहा ?
सुनवाई के दौरान नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से NTCA का अनुमति पत्र हाई कोर्ट में पेश किया गया। NTCA की ओर से कोर्ट को बताया गया कि साइट विजिट कर फाइनल अनुमति प्रदान की जाएगी। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को निर्धारित की है।
बड़ी संख्या में रहते हैं टाइगर
महाराष्ट्र अमरावती के रहने वाले एडविट किओले की ओर से ये मामला दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि भोपाल-बैतूल के बीच नेशनल हाइवे-69 का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गई है। नेशनल हाइवे के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट और मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा भी आता है। NTCA द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा और मिडघाट भी शामिल है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं, जो आने-जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं।
अनुमति लिए बिना शुरू हुआ था निर्माण कार्य शुरू
याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार टाइगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (NTCA) और नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ की अनुमति जरूरी है। अनुमति लिए बिना NHAI ने सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है। NTCA ने भी वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए हाइवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर और ओवर मार्ग बनाने और पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर ज्यादा असर नहीं पड़े।
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2022 में लगाई थी निर्माण पर रोक
याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट और फॉरेस्ट क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ के चेयरमैन, NHAI मध्यप्रदेश शासन के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट और PCCF को पक्षकार बनाया गया है। इस मामले में न्यायालय ने विगत 1 अप्रैल 2022 को निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। इसके बाद युगलपीठ ने अगस्त 2022 में बारिश के कारण खराब हुई सड़क के सुधार कार्य की अनुमति दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में पक्ष रखा।
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