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MP High Court
Madhya Pradesh High Court: हाईकोर्ट में बिना समुचित कानूनी सलाह के याचिकाएं या अपीलें दायर करने के चलन को गंभीरता से लेते हुए, राज्य शासन ने सभी विभागों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अब कोई भी विभाग महाधिवक्ता कार्यालय या शासकीय अधिवक्ता के अभिमत (Opinion) के बिना हाईकोर्ट में अपील या याचिका दायर नहीं करेगा, और इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
निजी अधिवक्ताओं पर प्रतिबंध
जीएडी ने कलेक्टरों, संभागायुक्तों और विभागाध्यक्षों सहित सभी संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया है। पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी स्थिति में राज्य शासन के विरुद्ध या उसकी ओर से कोई निजी अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से कोई अपील या याचिका पेश नहीं करेगा।
हाईकोर्ट के आदेश का पालन
दरअसल, यह सख्ती हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ द्वारा दिए गए दो महत्वपूर्ण आदेशों के पालन में की जा रही है, जिनमें 20 मई 2025 और रिट 13 दिसंबर 2023 का है। हाईकोर्ट ने निर्देशित किया था कि याचिका, अपील, रिव्यू (पुनर्विलोकन) या रिवीजन आवेदन महाधिवक्ता कार्यालय की अनुमति, शासकीय अधिवक्ता की राय, और विधि विभाग की सहमति के बिना दायर नहीं किए जाने चाहिए।
महाधिवक्ता को देनी होगी डिटेल
अभिमत दर्ज करना: अगर महाधिवक्ता कार्यालय या शासकीय अधिवक्ता यह राय देते हैं कि कोई केस कोर्ट में ले जाने के योग्य नहीं है, तो संबंधित विभाग को यह एडवाइस अपनी नोटशीट में दर्ज करनी होगी।
प्रशासकीय स्वीकृति:इसके बाद, यह प्रस्ताव संबंधित प्रशासकीय विभाग की स्वीकृति लेने के लिए भेजा जाएगा।
शासन की पहल:अगर प्रशासकीय विभाग इस पर भी याचिका दायर करने का फैसला करता है, तो राज्य शासन स्वयं महाधिवक्ता कार्यालय को याचिका दायर करने के लिए लिखेगा।
महाधिवक्ता का दायित्व: इस स्थिति में, महाधिवक्ता कार्यालय याचिका या अपील दायर करने से इनकार नहीं कर सकेगा।
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MP Police Bharti 2025: पुलिस भर्ती परीक्षा पर हाईकोर्ट ने ESB से पूछा- ब्लैकलिस्टेड कंपनी APTECH को ठेका क्यों ?
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Madhya Pradesh High Court Police Bharti Online Exam Tender Controversy: मध्यप्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन मंडल (ESB) को एक नोटिस जारी करते हुए तीखे सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने जानना चाहा है कि मुंबई स्थित एपटेक लिमिटेड (APTECH Ltd.) को ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराने का ठेका क्यों दिया गया, जबकि यह कंपनी पहले से ही देश के कई राज्यों में डेटा लीक और परीक्षा में धांधली के मामलों में फंसी रही है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...
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