जबलपुर। MP Teacher Recruitment 2018. जबलपुर हाईकोर्ट ने उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती यानी वर्ग—1 (MP Teacher Recruitment 2018) से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने बचे हुए पदों पर भर्ती के लिए सरकार को 3 महीने में विचार कर निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया है।
हाईकोर्ट में इसे लेकर अराधना सिंह सहित सात अभ्यर्थियों ने याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता ने उच्च माध्यमिक शिक्षक यानी वर्ग—1 भर्ती 2018 (MP Teacher Recruitment 2018) के बचे हुए पदों पर नियुक्ति न देने को लेकर याचिका लगाई थी।
करीब 6 हजार पद हैं खाली
अनुराधा सिंह ने इस मामले को लेकर 21 दिसंबर को हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता के मुताबिक साल 2018 में उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के 17 हजार पदों (MP Teacher Recruitment 2018) का विज्ञापन जारी हुआ था। इसमें 15 हजार पदों को पहले तो वहीं बाकी बचे दो हजार पदों को दूसरे चरण (MP Teacher Recruitment 2018) में भरा जाना था। पहले चरण के 15 हजार पदों के लिए प्रक्रिया हुई। दस्तावेज के सत्यापन भी हुए, लेकिन सिर्फ 9065 पद भरे गए। करीब 6 हजार पद खाली हैं।
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RTI से हासिल की जानकारी
याचिकाकर्ता ने RTI लगाकर 2018 की भर्ती (MP Teacher Recruitment 2018) के खाली पदों की डिटेल मांगी थी। RTI के जवाब से सामने आया कि 5 हजार 935 पद अब भी खाली है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा कि डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन होने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिली।
सरकारी वकील की दलील— ये पात्रता परीक्षा थी
सरकार के वकील ने तर्क दिया कि यह पात्रता परीक्षा (MP Teacher Recruitment 2018) थी। आवश्यकता के अनुसार भर्ती (MP Teacher Recruitment 2018) की गई है। जो भर्तियां की गई है उनमें एक भी ऐसी नहीं है जो याचिकाकर्ता से कम मैरिट की हो।
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कोर्ट ने कहा— पद खाली हैं तो भर्ती करें
जस्टिस विशाल धगत की एकल पीठ ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या आपने भर्ती प्रक्रिया पूरा की? अगर वाकई में पद खाली हैं, तो भर्ती करें। साथ ही उन्होंने आदेशित किया कि याचिकाकर्ता इसके लिए विभाग को अलग—अलग आवेदन करे, जिस पर विभाग 3 महीने में विचार कर निर्णय ले।
इन लोगों ने दायर की थी याचिका
हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका आराधना सिंह रीवा, धर्मेंद्र सोलंकी धार, राजगढ़ से गुलाब सिंह नागर और अर्जुन साहू, ग्वालियर से दीपिका शर्मा निधि गुप्ता और प्रांकुश शर्मा ने दाखिल की थी। याचिकाकर्ता की ओर से रिस्पोंडेंट स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त और एमपी कर्मचारी चयन मंडल को बनाया गया था। इस आदेश के साथ कोर्ट ने इस मामले को बंद कर दिया।
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