हाइलाइट्स
- गुना अभ्युदय जैन मौत मामले में बड़ा खुलासा
- SIT की जांच में मामला सुसाइड का निकला
- 57 दिन से जेल में बंद मां बेकसूर निकली
Guna Abhyudaya Murder Case: मध्यप्रदेश के गुना में 14 साल के अभ्युदय जैन की मौत के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस की गलत विवेचना के कारण अभ्युदय जैन के संदिग्ध मौत के मामले में उसकी मां को 57 दिन पहले जेल भेज दिया गया था। अब में एसआईटी की जांच में मामला पूरी तरह सुसाइड का निकला है। इससे अभ्युदय की मां अल्का जैन को बड़ी राहत मिली है और पुलिस ने मामले को खारिज करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
क्या था पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक, 14 फरवरी 2025 की रात को आठवीं कक्षा का छात्र अभ्युदय अपने घर के बाथरूम में टॉवल हैंगर से लटका हुआ मिला। दरवाजा अंदर से बंद था। उसकी मां अल्का बैडमिंटन खेलने गई थीं और जब शाम करीब पौने 8 बजे लौटीं, तो दरवाजा नहीं खुला। मकान मालिक से चाबी लेकर जब वह अंदर गईं, तो बेटे को फंदे पर देखा।
8 मार्च को अल्का जैन को जेल भेजा था
शुरुआत में पुलिस ने मर्ग कायम किया, लेकिन जिला अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण ‘गला घोंटना’ बताया गया। इसके आधार पर पुलिस ने इसे हत्या मानते हुए 22 फरवरी को अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया और 8 मार्च को अल्का को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अल्का ने अपराध को स्वीकार नहीं किया। पति अनुपम जैन ने 11 बिंदुओं पर डीजीपी को शिकायत दी। इसके बाद डीआईजी अमित सांघी ने जांच के लिए एसआईटी बनाई थी।
SIT जांच में ऐसे बेकसूर निकली अल्का जैन
एसआईटी ने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से एक नई मेडिको लीगल रिपोर्ट मांगी। मौत का कारण ‘पार्शियल हैंगिंग’ यानी फांसी बताया गया। कॉल डिटेल से पता चला कि अल्का मौत के समय लगातार फोन पर थीं। सिर्फ 20 मिनट का ऐसा समय था, जब कोई कॉल नहीं आया। इस दौरान हत्या करना और सीन बनाना संभव नहीं था। इसके साथ ही दरवाजा अंदर से बंद था और चाबी भी भीतर ही टेबल पर रखी मिली। यानी कोई बाहर से अंदर नहीं गया।
दो विषय में हो गया था फेल
अभ्युदय दो विषयों में फेल हुआ था। जिस दिन उसकी मौत हुई, उसी दिन हिंदी के पेपर में उसे 80 में से सिर्फ 28 नंबर मिले। एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि माता-पिता उससे प्यार करते थे, पर पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे। संभवत: इसीलिए उसने आत्महत्या की।
जांच में क्या खामियां रहीं ?
- जिला अस्पताल की पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण ‘स्ट्रेंगुलेशन’ लिखा था, जिसे पुलिस ने हत्या माना लिया।
- पेट में मिले भोजन के आधार पर पुलिस ने मौत का समय दोपहर 2:30 बजे के आसपास तय किया, जबकि अल्का घर पर करीब पौने चार बजे तक थीं।
- अल्का जैन के घर की चाबी अंदर टेबल पर ही मिली थी। यानी दरवाजा अंदर से बंद किया गया था, बाहर से कोई नहीं आया।
- शुरुआती जांच में पुलिस ने कुछ लोगों के बयान लिए, जिनमें कहा गया कि मां-बेटे में विवाद हुआ था और अल्का ने ‘धम-धम’ की आवाजें दबाने के लिए चक्की चलाई।
- अल्का ने बताया कि उस दिन कुछ लोग खाने पर आने वाले थे, इसलिए उन्होंने गेहूं पीसने के लिए चक्की चलाई थी। घर में पिसा हुआ गेहूं मिला। चौकीदार ने धम-धम की आवाज तो सुनी लेकिन किसी विवाद की नहीं।
- विशेषज्ञों से राय लेने पर सामने आया कि भोजन के आधार पर मौत का समय तय करना वैज्ञानिक रूप से कैसे भी उचित नहीं है।
एसपी ने अब क्या कहा ?
गुना पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने कहा कि डॉक्टरों की रिपोर्ट में स्ट्रेंगुलेशन का जिक्र था और लिखा था कि पुलिस ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य देखे हैं। इसके आधार पर हत्या का केस दर्ज किया गया। जांच के दौरान संदेह हुआ कि डॉक्टरों की राय सटीक नहीं है। इसलिए गांधी मेडिकल कॉलेज से रिपोर्ट मंगवाई। अब हम इस केस में खारिजी लगाएंगे।