हाइलाइट्स
-
एमपी में 72 हजार 500 अतिथि शिक्षकों की सेवाएं हुई डिस्कंटीन्यू
-
मई, जून और जुलाई में आर्थिक तंगी के दौर से पड़ेगा गुजरना
-
अतिथि शिक्षकों ने सरकार को याद दिलाया उनका वादा
MP Guest Teacher Condition: मध्यप्रदेश की राजनीति का कभी केंद्र रहे अतिथि शिक्षकों का हाल बेहाल है।
शिक्षक भर्ती में 50 फीसदी आरक्षण का अभी इंतजार ही हो रहा था कि 30 अप्रैल के बाद 72 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक को डिसकंटिन्यू कर दिया है।
ऐसे में इनके सामने फिर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। आइये इस खबर में समझते हैं कि अतिथियों के इस हाल के लिए कौन जिम्मेदार है और क्या इनके लिए अब तक सरकार ने कुछ नहीं किया।
अतिथि की मनोस्थिति समझने से पहले इस वीडियो को देख लें…
इस वीडियो में नजर आ रही महिला का नाम ममता परसोई है, जो अतिथि शिक्षक हैं।
ममता जिन्हें खरी-खोटी सुना रही हैं वो छिंदवाड़ा जिले के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह हैं।
ममता कलेक्टर से कह रही है कि आपको हमारी कुछ पड़ी नहीं हाथ में पर्ची रखी और बस।
इस पर कलेक्टर ने कहा कि पहले तो इन्हें बैठाए। इससे गुस्से से तिलमिलाई ममता ने तपाक से जवाब देती है।
क्यों बैठा लेना…बात करने की तमीज नहीं है। कलेक्टर ने कहा पहले तमीज से बात करना सीखो।
ममता कहती है कि पेमेंट (MP Guest Teacher Salary) नहीं मिली 10 महीने से… तुम्हारा नाम लिखकर यहीं सोसाइड कर लूंगी।
महिला अतिथि शिक्षक और कलेक्टर के बीच इसी तरह से करीब 1.03 मिनिट बहस चली।
दरअसल छिंदवाड़ा के अतिथि शिक्षक 10 महीने से वेतन नहीं मिलने की शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे।
लेकिन कलेक्टर ने उनकी शिकायत को पढ़ने बिना ही स्टॉफ को दे दिया, जिसके बाद महिला अतिथि शिक्षक कलेक्टर से भिड़ गई।
इस वीडियो को देखकर आप एक अतिथि शिक्षक की आर्थिक पीड़ा का अनुमान तो लगा ही सकते हैं।
सत्ता परिवर्तन के केंद्र में थे अतिथि
प्रदेश में 2018 में कमलनाथ सरकार को 15 महीने के अंदर गिरने के तार अतिथि शिक्षकों से ही जुड़े थे। दरअसल कांग्रेस ने चुनाव के समय अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया था।
पर जब ये पूरा नहीं हुआ तो प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इनके समर्थन में खुद सड़क पर उतरने की बात कही थी। जिसके जवाब में कमलनाथ ने कहा था कि उतरना है तो उतर जाओ।
इसके बाद नाथ और सिंधिया के बीच खाई इतनी गहरी हो गई कि अंतत: सिंधिया समर्थकों की बगावत के कारण कांग्रेस सरकार गिर गई।
अब अतिथियों के दर्द को समझिए
ये बिल्कुल सही है कि अतिथि शिक्षकों को शैक्षणिक सत्र यानी जुलाई से अप्रैल तक ही नियुक्ति पर रखा जाता है।
अप्रैल के बाद इन्हें डिसकंटिन्यू कर जुलाई और अगस्त में फिर से रखने की प्रोसेस शुरु हो जाती है। इन तीन से चार महीनें ये खाली ही बैठे रहते हैं और इसके पास रोजगार का कोई साधन नहीं होता।
यदि इनकी इस समस्या को पूरी तरह से व्यक्तिगत मान भी लें तब भी सवाल तो यही है कि जिस नियमितीकरण की मांग को लेकर सत्ता परिवर्तन तक हो गया, वो वादा निभाया क्यों नहीं गया और यदि वादा निभाया ही नहीं जा सकता था तो वादा करके सपने क्यों दिखाए गए।
ये भी पढ़ें: कुत्ते की जगह पालें पुंगनूर गाय: ड्राइंग रूम में भी रह लेगी, 5 किलो चारे में देगी इतना दूध; MP सीएम के पास भी यही गाय
सरकार ने कौन से वादे किये पूरे
ऐसा नहीं है कि सरकार ने अतिथि शिक्षकों के लिए कुछ किया ही नहीं है। 2018 से अतिथि शिक्षकों को शिक्षक भर्ती में 25% आरक्षण का लाभ मिल रहा है।
MP में अतिथियों का हाल बेहाल: भर्ती में 50% आरक्षण के आदेश का इंतजार, स्थायी रोजगार का था वादा; 72 हजार हुए डिसकंटिन्यू#MPNews #MPTeacher #GuestTeacher #MPGuestTeacher @CMMadhyaPradesh @udaypratapmp @NEYU4INDIA @MPYuvaShakti @jitupatwari @UmangSinghar
पूरी खबर पढ़ें :… pic.twitter.com/wyWldYSsIE
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) May 2, 2024
हालांकि इसके लिए उन्हें मैरिट में तो आना ही होगा। इसके अलावा पहले प्रति कालखंड के हिसाब से इनका मानदेय बनता था, जिसे सरकार ने बदलकर फिक्स सैलरी कर दी है।
प्राथमिक यानी वर्ग 3 के अतिथि शिक्षक को 10 हजार रुपये, माध्यमिक यानी वर्ग 2 के अतिथि शिक्षक को 14 हजार रुपये और उच्च माध्यमिक यानी वर्ग 1 के अतिथि शिक्षक को 18 हजार रुपये वेतन मिलता है।
ये भी पढ़ें: MP में लाड़ली बहनों का इंतजार खत्म: इस दिन खातों में आएगी योजना की 12वीं किस्त, CM मोहन ने खुद दी जानकारी
कौन से वादे फिर रह गए कोरे
2 सितंबर 2023…ये वो तारीख थी जब एक बार फिर अतिथि शिक्षकों को वादा किया गया।
इस बार सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती में 50 फीसदी आरक्षण के साथ पांच साल अतिथि के रूप में पूरा करने पर 20 अंक बोनस में दिये जाने की घोषणा हुई।
पर ये वादा भी कोरा ही निकला। आदेश आज तक नहीं हुए। शिक्षकों की भर्तियां हो रही है, नई भर्ती निकल रही है और इधर अतिथि आदेश निकलने का इंतजार कर रहा है।
अतिथियों को क्या है आस
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने कहा कि उन्हें नियमित रोजगार मिले। मतलब मई से लेकर जुलाई तक उनकी सेवाएं डिसकंटिन्यू न हो और इसका भी उनको वेतन मिल जाए।
इसके अलावा वेतन भी समय पर मिल जाए। क्योंकि कुछ जिले ऐसे हैं जहां 5 से 10 महीने का वेतन ही नहीं मिला है। वहीं जो घोषणाएं हुई हैं उनकी नीति बनाकर उन पर अमल किया जाए।