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Gratuity Payment Rules 2025
हाइलाइट्स
MP हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी केस में सुनाया फैसला
बिना आपराधिक दोष सिद्धि ग्रेच्युटी नहीं रुकेगी
60 दिन में 6% ब्याज सहित भुगतान के ऑर्डर
Gratuity Payment Rules 2025: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी राशि के भुगतान को लेकर अहम आदेश दिया है। साथ ही कहा कि यदि शासकीय कर्मी किसी आपराधिक प्रकरण में दंडित नहीं हुआ है, तो केवल विभागीय जांच के आधार पर उसकी ग्रेच्युटी जब्त नहीं की जा सकती।
60 दिन में ग्रेच्युटी पेमेंट के आदेश
जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने एमपी सरकार को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता को 6 प्रतिशत ब्याज सहित 60 दिन में राशि का भुगतान किया जाए।
मामला शहडोल निवासी बविता मोर का है, जिनके दिवंगत पति केंद्रीय मप्र ग्रामीण बैंक में पदस्थ थे। उन पर घोटाले का आरोप लगाकर विभागीय जांच चलाई गई थी, जिसके आधार पर ग्रेच्युटी रोक दी गई। कोर्ट ने कहा, बिना किसी आपराधिक दोषसिद्धि के यह कार्रवाई अवैधानिक है।
ग्रेच्युटी के लिए 4 साल 8 महीने नौकरी जरूरी
कर्मचारियों को उनकी शानदार सेवा के बदले कंपनी के द्वारा रिवॉर्ड के तौर ग्रेच्युटी दी जाती है। कर्मचारियों को ग्रेच्युटी तभी मिल सकती है, जब कर्मचारी ने 5 साल की नौकरी एक ही संस्था में पूरी की हो। इसके बाद कर्मचारियों को रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ते समय उनके सेवा के वर्षों के आधार पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है।
इन वजह से ग्रेच्युटी रोक सकती है कंपनी
- कंपनी कुछ स्थितियों में कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने से मना कर सकती है। कंपनी कभी भी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी बिना कारण नहीं रोक सकती।
- यदि कोई कर्मचारी अनैतिक व्यवहार करता पाया और उस पर आरोप सिद्ध हो जाता है, जिसके कारण कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ हो, ऐसे मामले में कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने से कंपनी मना कर सकती है।
- जब भी कंपनी किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी देने से मना करती है तो इसके लिए कंपनी को पहले ऐसा करने के सबूत पेश करने होंगे। ऐसा करने से पहले कंपनी कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी। जिसके बाद सुनवाई होगी और यदि कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसकी ग्रेच्युटी रोक ली जाएगी। कंपनी को जितना नुकसान हुआ है उतनी ही रकम ग्रेच्युटी से काटी जाएगी।
- यदि कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है तो फिर कंपनी पर निर्भर करता है कि उन्हें कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देना है या नहीं।
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ग्रेच्युटी रोकने पर क्या करें ?
- यदि कर्मचारी ने अपनी पांच साल की नौकरी पूरी कर ली है और उसके बाद भी उसे ग्रेच्युटी देने से कंपनी मना कर दें तो ऐसे में कर्मचारी के पास अधिकार है कि वे कंपनी को नोटिस भेज सकते हैं।
- नोटिस भेजने के बाद भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान नहीं किया जाता तो कर्मचारी कंपनी के खिलाफ जिला श्रम आयुक्त से शिकायत कर सकते हैं।
- यदि सुनवाई के दौरान कंपनी दोषी पाई जाती है तो कंपनी को ग्रेच्युटी की राशि के साथ ही ब्याज और जुर्माने की राशि का भी भुगतान करना होगा।
इन नियमों के आधार पर मिलती है ग्रेच्युटी
- किसी भी सरकारी या निजी कंपनी में 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं तो ऐसे में कंपनी को अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी पड़ेगी।
- यदि कर्मचारी ने 4 साल 8 महीने कंपनी में काम किया है तो उसे सेवा के 5 साल मानकर कर्मचारी को ग्रेच्युटी दी जाएगी।
- यदि कर्मचारी के सेवा का समय 4 साल 8 महीने से कम है तो उसे 4 साल ही गिना जाएगा और कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं होगा।
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