MP Soybean Kisan Protest: मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर सोयाबीन की खरीदी की घोषणा के बाद भी किसान खुश नहीं है। किसान अब भी 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की अपनी मांग पर अड़ा है।
वहीं सरकार कुल उत्पादन का सिर्फ 40 फीसदी ही सोयाबीन खरीदने की तैयारी में है। इससे किसान की नाराजगी और बढ़ गई है। किसान संगठनों ने कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।
उत्पादन 68.36 और खरीदेंगे सिर्फ 27.34 लाख मेट्रिक टन
बंसल न्यूज डिजिटल को एक डाक्यूमेंट हाथ लगा है, जिसमें कुल उत्पादन का सिर्फ 40 फीसदी सोयाबीन खरीदने की बात कही गई है।
दस्तावेज के अनुसार प्रदेश में 68.36 लाख मेट्रिक टन से अधिक उत्पादन होने की संभावना है। इसमें से समर्थन मूल्य पर 40 प्रतिशत यानी 27.34 लाख मेट्रिक टन सोयाबीन खरीदने की तैयारी है।
40 फीसदी सोयाबीन खरीदने के क्या मायने
एक हेक्टेयर पर मान लीजिए करीब 10 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है। सरकार सिर्फ किसान से 4 क्विंटल ही सोयाबीन खरीदेगी। यानी सरकार को बेचने पर किसान को 19568 रुपये मिलेंगे। बची 6 क्विंटल सोयाबीन किसान को मार्केट रेट पर बेचना होगा। 4 हजार के रेट के हिसाब 24 हजार रुपये किसान को मिलेंगे। यानी पूरी
10 क्विंटल सोयाबीन बेचने पर किसान को 43568 रुपये मिलेंगे। जबकि यदि 10 क्विंटल सोयाबीन ही MSP पर खरीदी गई होती तो किसान को 48920 रुपये मिलते। मतलब 40 फीसदी सोयाबीन खरीदने पर 1 हेक्टयेर पर ही किसान को 5352 रुपये का नुकसान हो जाएगा।
इन दो स्कीमों में खरीदा जाएगा सोयाबीन
केंद्र सरकार प्राइज सपोर्ट स्कीम और प्रधानमंत्री आशा स्कीम के तहत मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खरीदी करेगी। इन दोनो ही स्कीम में किसानों को दिया जाने वाला पूरा पैसा केंद्र सरकार की ओर से जारी होगा।
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इनमें से स्कीम चाहे जो भी होती, उस पर लिमिट लगना पहले से ही तय था, क्योंकि इन स्कीमों में ये पॉलिसी पहले से तय है कि कुल उत्पादन से एक निर्धारित मात्रा में ही उपज खरीदी जाएगी।
केंद्र ने दी खरीद की स्वीकृति
केंद्र को ओर से मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीद की स्वीकृति दे दी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 10 सितंबर को प्रस्ताव आया था, जिसे तत्काल स्वीकृति दे दी गई है। तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक की तरह एमपी में भी एमएसपी पर सोयाबीन खरीदा जाएगा।
पहले तिलहन संघ करता था खरीदी
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की सरकार खरीदी करने वाली है। करीब 30-35 साल पहले प्रदेश में तिलहन संघ जरुर खरीदी किया करता था, लेकिन वो खरीदी मार्केट रेट पर होती थी। उसके बाद अब ऐसा मौका आया है जब सरकार सोयाबीन की खरीदी करने वाली है।
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किसान के विरोध की ये है वजह
एक एकड़ में सोयाबीन लगाने की लागत 20 से 25 हजार रुपये है। उत्पादन 5 क्विंटल के आसपास होगा तो ऐसे में 4892 के रेट पर उसे 24460 रुपये ही मिलेंगे।
इस राशि में या तो लागत निकलेगी या लागत से बामुश्किल 2 से 3 हजार रुपये ज्यादा मिलेंगे। यही कारण है कि किसान एमएसपी रेट पर खरीदी नहीं बल्कि सोयाबीन का भाव 6 हजार रुपये करने की मांग पर अड़ा है।
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6 हजार रुपये भाव होने तक जारी रहेगा आंदोलन
सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल ये 4600 थी। इस वर्ष इसमें 292 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।
किसान संगठनों ने साफ किया है कि जब तक सोयाबीन के रेट 6 हजार रुपये नहीं हो जाते, तब तक उनका ये आंदोलन जारी रहेगा। अभी तहसील और जिला मुख्यालयों में ट्रेक्टर रैली निकालने का आयोजन हो रहा है।