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हाइलाइट्स
- हाईकोर्ट से सभी याचिकाओं को क्लब करने के निर्देश
- 25 सितंबर 2025 से होगी मामले की नियमित सुनवाई
- सरकार ने कहा-कानून बनाना हमारा संवैधानिक अधिकार
Madhya Pradesh Government Employees Promotion Reservation Rules 2025: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार, 16 सितंबर, 2025 को पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की गई। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने करीब डेढ़ घंटे दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं।
कोर्ट ने हस्तक्षेपकर्ताओं से कहा कि यदि कोर्ट में लंबित याचिकाएं मंजूर या खारिज होती हैं तो, 2025 के नियमों के तहत होने वाली प्रमोशन पर उसका क्या असर पड़ेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा कि इस विषय में क्या सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने कोई अलग से परिपत्र जारी किया है। इस पर उन्होंने राज्य सरकार से दो दिन में लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, नमन नागरथ, आकाश चौधरी, विनायक प्रसाद शाह, वरुण ठाकुर, अभिलाषा लोधी, शिवांशु कोल, अखिलेश प्रजापति और कविता अहिरवार ने पक्ष रखा।
25 सितंबर से होगी नियमित सुनवाई
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट[/caption]
हाईकोर्ट की बेंच ने याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए क्लब करने के निर्देश दिए, जिसमें अजॉक्स संघ की याचिका और पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाएं शामिल हैं। कोर्ट ने अगली नियमित सुनवाई 25 सितंबर 2025 को सुबह 11:30 बजे निर्धारित की गई है।
सुनवाई की मुख्य बातें
- हस्तक्षेपकर्ताओं ने सरकारी विभागों की तुलनात्मक रिपोर्ट पेश की और तर्क दिया कि उच्च पदों पर सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व पहले से अधिक है।
- हस्तक्षेपकर्ताओं ने यह सवाल उठाया कि विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं के कौन से कानूनी अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।
- वरिष्ठ वकील रामेश्वर सिंह ने अदालत से आग्रह किया कि पहले यह परीक्षण किया जाए कि 2025 के प्रमोशन नियम के किस प्रावधान से सामान्य वर्ग को नुकसान हो रहा है।
- राज्य सरकार ने अपने पक्ष में कहा कि कानून बनाना सरकार का संवैधानिक अधिकार है, इस पर कोई अदालत रोक नहीं लगा सकती।
2016 में रद्द हुई थी MP सरकार की प्रमोशन पॉलिसी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 2016 में प्रदेश सरकार की प्रमोशन पॉलिसी को असंवैधानिक पाते हुए रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। MP में 9 साल से प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया गया। मध्यप्रदेश सरकार 2025 में नई प्रमोशन पॉलिसी लाई जिसे सपाक्स सहित कई याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
इसलिए लागू नहीं हुई थी नई पॉलिसी
याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार पुरानी प्रमोशन पॉलिसी के अदालत में विचाराधीन रहते नई पॉलिसी लाई है जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ओवररूल करने जैसा है। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने नई पॉलिसी के तहत फिलहाल कोई प्रमोशन न करने की ओरल अंडरटेकिंग दी थी, जिसके चलते नई पॉलिसी को लागू नहीं किया जा सका है।
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क्यों लगी थी प्रमोशन पर रोक
2002 में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया था।
आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को लगातार प्रमोशन मिला, लेकिन अनापरक्षित वर्ग के कर्मचारी पीछे रह गए।
जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे और प्रमोशन में आरक्षण को खत्म करने के लिए कहा। कोर्ट से कहा गया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए।
MP हाईकोर्ट ने तर्कों के आधार पर 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को खारिज कर दिया।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया था। उसके बाद से प्रमोशन पर रोक है।
ये है प्रमोशन का नया फॉर्मूला
खाली पदों को SC-ST (16%-20%) और अनारक्षित हिस्सों में बांटा जाएगा।
पहले SC-ST वर्ग के पद भरे जाएंगे। इसके बाद बाकी पदों के लिए सभी दावेदारों को मौका मिलेगा।
क्लास-1 अधिकारी (जैसे डिप्टी कलेक्टर) के लिए लिस्ट मेरिट और सीनियरिटी दोनों के आधार पर बनेगी।
क्लास-2 और नीचे के पदों के लिए लिस्ट सीनियरिटी के आधार पर बनाई जाएगी।
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