Private School Manmani: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में आदेश दिया की स्कूल अपनी फीस का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे।
मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम 2017 यानी फीस एक्ट (MP Private School Fees Act 2017) की धारा 3 और 4 में इसे लेकर प्रावधान है।
उसके बावजूद निजी स्कूलों की फीस का ब्यौरा देने वाला विकल्प ही गायब है। इससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि शासन निजी स्कूलों की मनमानी रोकने और पेरेंट्स को राहत देने के लिए कितना गंभीर है।
फीस एक्ट में प्रावधान, SC के निर्देश: निजी स्कूलों की फीस का ब्यौरा देने वाला विकल्प फिर भी गायब
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150 दिन पहले जानकारी देने का नियम
नये शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले निजी स्कूलों (Private School Manmani) को 150 दिन पहले फीस संबंधी सभी जानकारी देने का नियम है।
लेकिन अमूमन कोई भी स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहा है।
फीस एक्ट में ये है नियम
फीस एक्ट में नए शैक्षणिक सत्र से 150 दिन पहले निजी स्कूलों (Private School Manmani) को तीन साल के आय व्यय का ब्यौरा देने का नियम है।
स्कूलों को सशर्त वर्ष में एक बार 10 फीसदी फीस बढ़ाने का अधिकार है। उससे अधिक फीस बढ़ोत्तरी के लिए शासन से परमिशन लेना होगा।
जनवरी 2021 से पोर्टल बंद कर दिया
फीस एक्ट के पालन में वर्ष 2020 में निजी स्कूलों (Private School Manmani) से एजुकेशन पोर्टल पर तीन साल के आय व्यय का ब्यौरा अपलोड करवाया गया।
बामुश्किल 40 फीसदी स्कूल ही फीस का ब्यौरा दे सके। उसके बाद जनवरी 2021 से इस पोर्टल को बंद कर दिया गया।
नये पोर्टल से तो विकल्प ही गायब
पुराना पोर्टल बंद कर वर्तमान में एजुकेशन पोर्टल 2.0 संचालित हो रहा है।
अधिकारियों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए नए पोर्टल से निजी स्कूलों (Private School Manmani) के आय व्यय का ब्यौरा देने वाला विकल्प ही गायब कर दिया।
अधिकारियों ने ऐसे खेला खेल
दरअसल वर्ष 2020 में जब निजी स्कूलों (Private School Manmani) ने एजुकेशन पोर्टल पर आय व्यय का ब्यौरा देना शुरु किया तो उसके आधार पर पेरेंट्स ने फीस बढ़ोत्तरी करने वाले स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
कई तो इस ब्यौरे को लेकर कोर्ट तक चले गए। परेशान होकर जनवरी 2021 में पोर्टल बंद कर दिया। पेरेंट्स का आसानी से आय व्यय का ब्यौरा न मिल सके इसलिए नए पोर्टल से विकल्प ही हटा दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं
शिक्षा विभाग के अधिकारी न तो खुद के नियम का पालन करवा पा रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 को निजी स्कूलों (Private School Manmani) को सभी फीस को शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करने को कहा था।
साढ़े तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विभाग के अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं करवा सके।
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पेरेंट्स के सामने ये मुश्किलें
समय रहते स्कूल अपनी फीस की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में नये सत्र शुरु होने से पहले वे अपने बजट के अनुसार फैसला नहीं ले पाते।
सत्र शुरु होने के बाद स्कूलों की मनमानी (Private School Manmani) फीस देने और महंगी बुक खरीदने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।