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Ek Bagiya Maa Ke Naam MP New Scheme: मध्य प्रदेश सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 'जल गंगा संवर्धन अभियान' के समापन अवसर पर स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं के लिए "एक बगिया मां के नाम" योजना का ऐलान किया। यह योजना मनरेगा के तहत शुरू की जाएगी और इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फलोद्यान को प्रोत्साहित करने के लिए 'एक बगिया मां के नाम' योजना बनाई गई है। आपके बगीचे के लिए राज्य सरकार सभी प्रकार का सहयोग करेगी। इस योजना से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और आमदनी का नया अवसर मिलेगा।
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900 करोड़ की ‘एक बगिया मां के नाम’ योजना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 900 करोड़ रुपए की लागत वाली ‘एक बगिया मां के नाम’ योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत राज्य की 30 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं की निजी जमीनों पर 30 लाख से ज्यादा फलदार पौधे लगाए जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया मनरेगा के माध्यम से संचालित होगी। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान से प्रेरणा लेकर राज्य सरकार ने इसे तैयार किया है। इसका क्रियान्वयन 15 अगस्त से शुरू होकर 15 सितंबर तक किया जाएगा।
निजी भूमि पर किया जाएगा पौधारोपण
'एक बगिया मां के नाम' योजना के तहत राज्य की 30 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं की निजी जमीनों पर पौधारोपण किया जाएगा। कुल 30 हजार एकड़ भूमि पर 30 लाख से ज्यादा फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इस महत्वाकांक्षी योजना पर सरकार करीब 900 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इससे महिलाओं को आय का नया स्रोत मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
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सरकार देगी बागवानी की ट्रेनिंग
योजना के तहत महिलाओं को सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें पौधों की खरीद, खाद, गड्ढे खोदने का खर्च, कंटीली तार से फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जलकुंड बनवाने की राशि शामिल होगी। इसके साथ ही, महिलाओं को बगिया की देखरेख और उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष बागवानी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे इस योजना से स्थायी आमदनी अर्जित कर सकें।
कौन होंगे लाभार्थी और कैसे होगा चयन?
‘एक बगिया मां के नाम’ योजना का लाभ राज्य की उन महिलाओं को मिलेगा जो आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी हैं और अपनी निजी भूमि पर फलदार पौधों का बाग लगाना चाहती हैं। अगर किसी महिला के नाम पर जमीन न हो, तो वह अपने पति, पिता, ससुर या पुत्र की भूमि पर उनकी लिखित सहमति से इस योजना में शामिल हो सकती है।
पौधारोपण स्थल का चयन और मूल्यांकन आधुनिक तकनीक से होगा। इसके लिए 'सिपरी सॉफ्टवेयर' की मदद ली जाएगी, जो यह तय करेगा कि
- संबंधित जमीन फलदार पौधों के लिए उपयुक्त है या नहीं
- कौन-से पौधे उस भूमि के लिए सबसे सही रहेंगे
यदि भूमि उपयोग के लायक नहीं पाई जाती, तो उस स्थान पर पौधारोपण नहीं किया जाएगा। इस तकनीकी जांच से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योजना का लाभ केवल उन्हीं को मिले जो वास्तव में उत्पादन कर सकते हैं।
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