MP Employees Salary Scam: मध्यप्रदेश सरकार के वित्त विभाग के लिए एक चौंकाने वाली स्थिति पैदा हो गई है। लगभग 50 हजार सरकारी कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी सैलरी दिसंबर 2024 से नहीं निकाली गई, लेकिन उनके कोड IFMIS पोर्टल में एक्टिव हैं। इन कर्मचारियों की सैलरी के 230 करोड़ रुपए तक की राशि में खजाने में फंसी पड़ी है।
ट्रेजरी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इन कर्मचारियों के मृत्यु या सेवानिवृत्ति की प्रविष्टि IFMIS सिस्टम में नहीं हुई, जिससे Exit प्रोसेस अधूरा है। फिर भी, इनका वेतन आहरित नहीं किया जा रहा जिससे “घोस्ट एम्पलाई” होने का संदेह पैदा हो रहा है।
मध्यप्रदेश में 'भूत' भी सरकारी कर्मचारी!
23 मई को ट्रेज़री और अकाउंट्स विभाग के कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने राज्य के सभी कोषालय अधिकारियों (DDO) को एक अहम चिट्ठी लिखी। इस पत्र के अनुसार, राज्य के लगभग 50,000 कर्मचारियों की सैलरी पिछले 5-6 महीनों से ट्रेज़री से नहीं निकाली गयी।…
— Umang Singhar (@UmangSinghar) June 6, 2025
विपक्ष का सरकार पर हमला
इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर पर हमला बोला दिया है। टीएमसी ने इसे “बड़ा वेतन घोटाला” करार देते हुए सवाल उठाया कि ED, CBI और आयकर विभाग चुप क्यों हैं ?
कांग्रेस ने कहा कि ये सभी कर्मचारी “घोस्ट एम्पलाई” हैं। जिनकी न कोई पहचान है, न उपस्थिति रजिस्टर में कोई एंट्री है।
ट्रेजरी कमिश्नर ने मांगी जानकारी
23 मई 2025 को ट्रेजरी और अकाउंट्स विभाग के कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने सभी जिला कोषालय अधिकारियों (DTO) को पत्र जारी कर कहा है कि सभी कार्यालय प्रमाणित करें कि कोई अनधिकृत कर्मचारी कार्यरत नहीं है।
6 महीने से नहीं निकाला वेतन
कर्मचारियों को दिसंबर 2024 से वेतन नहीं मिलने की समस्या का कारण IFMIS सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी बताया जा रहा है। लेटर में उल्लेख है कि जिन कर्मचारियों का डेटा सिस्टम में सक्रिय है, लेकिन उनकी मृत्यु या सेवानिवृत्ति तिथि दर्ज नहीं हुई है, उनका वेतन नहीं निकल पा रहा है। इसके अलावा, Exit प्रोसेस पूरा न होने के कारण भी यह समस्या आ रही है। इस मुद्दे के समाधान के लिए संबंधित विभाग से शीघ्र ही कार्रवाई करने की अपेक्षा की जा रही है ताकि कर्मचारियों को उनका वेतन मिल सके।
मध्यप्रदेश में ‘भूत’ भी सरकारी कर्मचारी!
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया X पर लिखा- 23 मई को ट्रेज़री और अकाउंट्स विभाग के कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने राज्य के सभी कोषालय अधिकारियों (DDO) को एक अहम चिट्ठी लिखी। इस पत्र के अनुसार, राज्य के लगभग 50,000 कर्मचारियों की सेलरी पिछले 5-6 महीनों से ट्रेज़री से नहीं निकाली गयी।
चौंकाने वाली बात यह है कि इन कर्मचारियों के एम्प्लॉयी कोड एक्टिव हैं- यानी तकनीकी रूप से उनकी सैलरी कभी भी निकाली जा सकती है लेकिन न पहचान है, न उपस्थिति। नाम हैं, काम नहीं। पद हैं, पदचिन्ह नहीं। ऐसा लग रहा है जैसे सरकारी खातों में किसी भूत ने आधार लिंक करवा लिया हो!
अब कुछ सीधे और ज़रूरी सवाल उठते हैं…
1. क्या ये कर्मचारी ‘अनपेड लीव’ पर हैं?
2. क्या इन्हें निलंबित किया गया है?
3. या फिर ये सभी ‘घोस्ट एम्प्लॉयी’ हैं यानी कागजों पर तो हैं, असल में नहीं। अगर किसी कर्मचारी की सैलरी 6 महीने तक नहीं निकली, फिर भी उसे एग्जिट नहीं किया गया, तो ये किसी बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है।
धन्यवाद आयुक्त महोदय, कि आपका ध्यान इस गंभीर मुद्दे पर गया। दुर्भाग्यवश, बीजेपी सरकार के मंत्रियों का ध्यान न तो विभाग की महत्वपूर्ण घटनाओं पर है और न ही जनता पर। ऐसा लगता है कि अगले ढाई साल तो ये मंत्री विभाग के नियम-कायदे ही सीखने में बिता देंगे।
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क्या है IFMIS सिस्टम ?
IFMIS (Integrated Financial Management Information System) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिससे मध्यप्रदेश सरकार वेतन, बजट और ट्रांजेक्शन को ट्रैक करती है। इसी सिस्टम में इन कर्मचारियों के कोड तो एक्टिव हैं, पर कोई वेतन लेन-देन नहीं हुआ।
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MP Police Constable Recruitment Scam: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पुलिस आरक्षक भर्ती- 2023 की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े एवं अनियमितताओं के मामले में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमैट्रिक डाटा और आधार कार्ड हिस्ट्री की बारीकी से जांच की जाएगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…