Madhya Pradesh Former EPFO Officer Fraud Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पूर्व प्रवर्तन अफसर श्यामलाल अखंड और उनके सहयोगियों की इंदौर व उज्जैन की करीब 50 लाख रुपए मूल्य की संपत्तियों को कुर्क किया है। यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के मामले में की गई है।
ईडी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 8 जुलाई को यह कार्रवाई की गई। इसमें उज्जैन के नलवा गांव का खेत और इंदौर में एमरॉल्ड सिटी के प्लॉट को कुर्क किया है। यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई।
ईडी, भोपाल ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पूर्व प्रवर्तन अधिकारी श्यामलाल अखंड और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में चल रही जांच के संबंध में 08.07.2025 को ग्राम नलवा, जिला उज्जैन में स्थित कृषि भूमि और एमराल्ड सिटी, ग्राम जख्या, इंदौर में स्थित एक आवासीय…
— ED (@dir_ed) July 10, 2025
PF गड़बड़ी दबाने ली थी रिश्वत
दरअसल, करीब 6 साल पहले मंदसौर की सांई कंस्ट्रक्शन कंपनी में पीएफ की गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इस केस को दबाने के लिए पूर्व ईपीएफओ अफसर श्यामलाल अखंड ने कंपनी से 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। इसमें से 2 लाख रुपए की रिश्वत पहले ले ली और बाकी की रकम देने के लिए अपने घर बुलाया था। छापामार कार्रवाई में सीबीआई ने ईपीएफओ अफसर की काली कमाई को उजागर किया था।
CBI-EOW की FIR, ED का एक्शन
छापामार कार्रवाई में सीबीआई (CBI) ने ईपीएफओ अफसर की काली कमाई को उजागर किया था। इस केस में सीबीआई (CBI) ने रिश्वत लेने पर एक एफआईआर (FIR) दर्ज की। जिसके बाद आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing) ईओडब्ल्यू (EOW) में दूसरे एफआईआर (FIR) दर्ज की गई। दूसरी एफआईआर आय से अधिक संपत्ति (disproportionate assets) के आरोप में हुई थी। दोनों एफआईआर के आधार पर ईडी ED ने यह कार्रवाई की।
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पत्नी, बेटे के नाम खरीदी संपत्तियां
सीबीआई, ईओडब्ल्यू और ईडी की संयुक्त जांच में सामने आया कि पूर्व ईपीएफओ अधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति खरीदी थी। इसमें खुद, पत्नी और बेटे के नाम पर प्रॉपर्टियां खरीदी। जांच में यह भी सामने आया कि अफसर ने सरकारी पद का गलत उपयोग कर यह संपत्ति खरीदी थी।
10 साल में जमाई बेहिसाब संपत्ति
पूर्व अफसर ने जांच में अपनी संपत्ति का साधन वेतन, किराया, खेती और पत्नी के कढ़ाई—सिलाई व्यवसाय बताया था। हालांकि उनकी ओर से इसके पर्याप्त डॉक्यूमेंट पेश नहीं किए। तीनों जांच एजेंसियों की सर्चिंग में यह भी सामने आया कि ईपीएफओ अफसर रहते साल 2009 से 2029 तक बेहिसाब प्रॉपर्टी और बैंक बैलेंस जमा लिया था।
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