सागर। MP Election 2023: बुंदेलखंड के कद्दावर नेता गोपाल भार्गव किसान परिवार से आते हैं। उन्होने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में कदम रख लिए थे। साथ ही 1982 में उन्हें गढ़ाकोटा नगर पालिका का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष चुने गए। आज हम गोपाल भार्गव से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में चर्चा करेंगे।
भार्गव ने ऐसे शुरू की राजनीति
सागर जिले के रहली में साल 1952 को जन्में गोपाल भार्गव में 1970 में सागर विश्वविद्यालय से बैचलर डिग्री ली और यहीं से उन्होने छात्र राजनीति की ओेर कदम बड़ाए। गोपाल का यह वो समय था जब उन्हें राजनीति के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होने 1982 में पहली बार चुनाव लड़ा और नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए।
गोपाल भार्गव की शिक्षा
किसान परिवार में जन्में गोपाल भार्गव ने सागर विश्वविद्यालय से BSc और MA की पढ़ाई की है। साथ ही उन्होने बाद में LLB की डिग्री हालिस की। लेकिन उन्होने राजनीति में आने के बाद कभी वकालत नहीं की है।
21 हजार बेटियों का ले चुके कन्यादान
बात दें कि गढ़ाकोटा में पिछले 22 साल से लगातार सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसका नाम गिनिज बुक में भी दर्ज है। गोपाल भार्गव ने इस सम्मेलन की शुरूआत 2001 में की थी। साथ ही 21 हजार बेटियों का कन्यादान लेने का संकल्प लिया था। जो मार्च 2023 में पूरा हुआ है।
ऐसे बने छात्र नेता से मंत्री
बुंदेलखंड के दिग्गज बीजेपी नेता गोपाल भार्गव छात्र नेता से राजनीति में आए और 1982 में सबसे पहले नगरपालिका का चुनाव लड़ा। साथ ही उन्होने 1985 में पलही बार रहली से विधानसभा का चुनाव लड़ा और तभी से लगातार 8 बार के विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। 2003 में उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया था।
2018 में बीजेपी चुनाव हार गई थी तब गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। लेकिन मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिर गई और फिर से बीजेपी सत्ता में आ गई। साथ ही भार्गव को लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया।
गोपाल भार्गव का राजनीतिक करियर
– छात्र नेता से राजनीति में आने वाले गोपाल भार्गव को साल 1982 में पहली बार गढ़ाकोटा नगर पालिका का अध्यक्ष चुना गया था।
– साल 1985 में उन्होने पहली बार रेहली विधानसभा से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंचे। इस बार उन्होने कांग्रेस के माधवराव प्रसाद का हराया था।
– साल 1990 में लगातार दूसरी बार रेहली विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए।
– 1998 में उन्होने फिर से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंचे। इस बार उन्होने कांग्रेस के जीवन पटेल को हराया था।
– 2003 में विधानसभा चुनाव जीत ने के बाद गोपाल भार्गव को उमा भारती की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
– साल 2004 में मध्यप्रदेश की सियासत में फेरबदल हुआ और 27 अगस्त, 2004 में उन्हें बाबूलाल गौर की सरकार में मंत्री बनाया गया।
– 2005 में गोपाल भार्गव ने शिवराज सिंह चौहान की मंत्रिपरिषद में मंत्री पद की शपथ ली। इस बार उन्हे कृषि और सहकारिता विभाग दिया गया था।
– 2008 में छठी बार और 2013 में 7वीं बार लगातार चुनाव जीता और मंत्रिपरिषद में शामिल हुए।
– साल 2018 में उन्होने आठवीं बार विधानसभा का चुनाव जीता, लेकिन बीजेपी की सरकार नहीं बनी। साल 2020 में हुए फेरबदल के बाद बीजेपी की सरकार बनी और गोपाल भार्गव को लोग निर्माण विभाव का मंत्री बनाया गया।
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