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हाइलाइट्स
- रीवा में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर।
- 1500 शिक्षकों को भेजा हाजिरी नहीं लगाने नोटिस।
- तीन मृत शिक्षक को भी दिया ई-अटेंडेंस का नोटिस।
MP Rewa Education Department E-Attendance Notice to Dead Teachers Case: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शिक्षा विभाग (Education Department) की गंभीर लापरवाही सामने आई है। ई-अटेंडेंस सिस्टम (E-Attendance System) के तहत की गई सख्ती में विभाग ने 1500 शिक्षकों को नोटिस भेज दिए, लेकिन हैरानी तब हुई जब सूची में ऐसे तीन शिक्षकों के नाम भी सामने आए जिनका कई महीने या साल पहले ही निधन हो चुका था। इनसे पूछा गया कि आप हाजिरी क्यों नहीं लगा रहे हैं?... इसके साथ ही तीन दिन में जवाब न देने पर वेतन काटने की चेतावनी दी गई। अब मामले में विभाग ने अपनी भूल मानते हुए इसे डेटा अपडेट की गलती बताया है और सुधार का आश्वासन दिया है।
विभाग ने मृत शिक्षकों को भेजा नोटिस
रीवा जिला शिक्षा विभाग ने ई-अटेंडेंस सिस्टम के अनुसार 1500 से ज्यादा शिक्षकों को नोटिस भेजे। नोटिस में पूछा गया कि वे एप पर उपस्थिति क्यों नहीं दर्ज कर रहे हैं। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि तीन दिन में जवाब नहीं दिया गया, तो वेतन काट लिया जाएगा।
इसी सूची में तीन ऐसे शिक्षकों के नाम भी शामिल कर लिए गए जिनकी मौत काफी पहले हो चुकी थी।
मौत के बाद भी हाजिरी मांगता रहा सिस्टम
नोटिस सूची में जिन मृत शिक्षकों के नाम शामिल पाए गए, उनमें देवतादीन कोल जिनकी मृत्यु साल 2023 में हो चुकी है। साथ ही छोटेलाल साकेत 2025 में दुनिया छोड़ चुके है। मृत शिक्षकों में रामगरीब दीपांकर शामिल है। नोटिस में तीन दिन में जवाब न देने पर वेतन काटने की चेतावनी दी गई थी। इनके परिजनों ने विभाग के नोटिस को लेकर हैरानी जताई और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। इस बड़ी गड़बड़ी के सामने आने के विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
डेटा अपडेट में भारी गलती
मामला सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी राम राज मिश्रा ने अपनी गलती स्वीकार की। उनका कहना है कि यह डेटा अपडेट न होने की वजह से हुआ। अधिकारी ने आश्वासन दिया कि “यह तकनीकी त्रुटि है, जल्द ही सुधार किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।”
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ई-अटेंडेंस सिस्टम को लेकर बढ़ा विवाद
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कुछ समय पहले ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया था। शुरुआत में इसका विरोध हुआ था, लेकिन अब विभाग ने इसे काफी सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है। इसी सख्ती में यह बड़ी लापरवाही सामने आई।
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