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हाइलाइट्स
- देवास में एसपी ने दो उप निरीक्षकों (SI) को किया निलंबित।
- ठगों से लेनदेन, अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप।
- आरोपियों से कैश लेकर थाने से ही जमानत देने का आरोप।
MP Dewas Police Cyber Fraud Case SI Suspension: मध्य प्रदेश में एक बार फिर पुलिस विभाग की छवि धूमिल करने वाला मामला सामने आया है। देवास में साइबर ठगी के आरोपियों से कथित लेनदेन और उन्हें संरक्षण देने के आरोप में 2 पुलिस उप-निरीक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया है। निलंबित अधिकारियों में उपेंद्र नाहर (तत्कालीन कमलापुर थाना प्रभारी) और चापड़ा चौकी प्रभारी राकेश नरवरिया शामिल हैं। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने ठगी के आरोपियों से बड़ी रकम ली और कार्रवाई से बचाने की कोशिश की। मामले में एसपी पुनीत गहलोत ने दोनों को तुरंत निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया है।
साइबर ठगी में लिप्त आरोपियों से हुआ लेनदेन
देवास जिले के कमलापुर थाना प्रभारी उपेंद्र नाहर और चापड़ा चौकी प्रभारी राकेश नरवरिया पर आरोप है कि उन्होंने साइबर ठगी के आरोपियों से बड़ी रकम लेकर उन्हें छोड़ दिया। यह मामला लाखों रुपए की ठगी से जुड़ा था, जिसमें इंदौर और विदिशा के 11 युवकों को पूछताछ के लिए थाने लाया गया था।
आरोप है कि पूछताछ के अगले दिन आरोपियों से थाने में नकद लेनदेन होने के बाद उन्हें थाने से ही जमानत दे दी गई। पीड़ितों को यह कहकर गुमराह किया गया कि रुपए जब्त नहीं हुए और अदालत में कार्रवाई होगी। मामले की जानकारी जब वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची, तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया।
अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप
देवास पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोत तक यह जानकारी पहुंची कि एसआई उपेंद्र नाहर ने वरिष्ठ अफसरों को साइबर ठगी से संबंधित इस मामले की सही जानकारी नहीं दी और उन्हें लगातार गुमराह करते रहे।
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जांच से बचने पर कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, तीन दिन पहले एसआई उपेंद्र नाहर को कमलापुर थाने से हटाकर कन्नौज थाने भेज दिया था। लेकिन वह वहां पहुंचे ही नहीं और बीमारी की छुट्टी पर चले गए।
सूत्रों के अनुसार, विभागीय जांच शुरू होने के डर से उपेंद्र नाहर कन्नौज थाने में उपस्थित ही नहीं हुए और सीधे सिक लीव (बीमारी की छुट्टी) पर चले गए। जब एसपी को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने तत्काल दोनों अधिकारियों को निलंबित करते हुए लाइन अटैच कर दिया।
महिला अफसर की भूमिका भी संदिग्ध
इस पूरे मामले में इंदौर में पदस्थ रहीं एक महिला पुलिस अफसर की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। पुलिस प्रशासन द्वारा उनकी भूमिका की भी जांच की जा सकती है।
निलंबन की इस कार्रवाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुए उन संदेशों से जोड़कर भी देखा जा रहा है, जिसमें सिवनी कांड का हवाला देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दोनों एसआई पर लाखों रुपये के लेनदेन का आरोप लगाया गया था। एसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सख्त कदम उठाया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि ऐसी घटनाएं पुलिस की साख को नुकसान पहुंचाती हैं और कड़े अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे।
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