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MP Retired GM Fraud: रिटायर्ड GM से 1.39 करोड़ की ठगी, यूपी के 9 आरोपी गिरफ्तार, इंजीनियरिंग और लॉ स्टूडेंट तक शामिल

MP Retired GM Fraud: MP साइबर सेल ने रिटायर्ड GM से 1.39 करोड़ की ठगी करने वाले यूपी के 8 युवकों को गिरफ्तार किया, आरोपी क्रिप्टोकरंसी से चीनी गिरोह तक रकम पहुंचा रहे थे।

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Wasif Khan
MP Retired GM Fraud: रिटायर्ड GM से 1.39 करोड़ की ठगी, यूपी के 9 आरोपी गिरफ्तार, इंजीनियरिंग और लॉ स्टूडेंट तक शामिल

हाइलाइट्स

  • रिटायर्ड GM से 1.39 करोड़ की ऑनलाइन ठगी

  • यूपी के 9 युवक गिरफ्तार, पढ़ाई-लिखाई में तेज

  • ठगी की रकम क्रिप्टोकरंसी से चीनी गिरोह तक

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MP Retired GM Fraud Update: मध्यप्रदेश की साइबर सेल ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 1.39 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी करने वाले नौ युवकों को गिरफ्तार किया है। यह पूरा मामला इंदौर निवासी ग्रासिम इंडस्ट्रीज मुंबई के रिटायर्ड जनरल मैनेजर से जुड़ा है। पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपी पढ़े-लिखे हैं और टेलीग्राम ग्रुप्स के जरिए चीनी ठगों से जुड़े थे।

इंजीनियरिंग और लॉ स्टूडेंट तक शामिल

गिरफ्तार आरोपियों की पढ़ाई और पृष्ठभूमि देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। इनमें कोई बीटेक सिविल इंजीनियरिंग कर चुका है, कोई बीबीए और बीसीए पास है, तो कोई सायबर लॉ (Cyber Law) में पीजी डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा है। आरोपियों में कृष शुक्ला एलएलबी का स्टूडेंट है जबकि सक्षम तिवारी कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई कर रहा था। पुलिस का कहना है कि इन सभी ने मिलकर ठगी की रकम का लगभग 50 प्रतिशत खुद रखा और बाकी रकम क्रिप्टोकरंसी (Cryptocurrency) के जरिए चीनी गिरोह तक पहुंचाई।

490% मुनाफे का लालच देकर किया शिकार

शिकायतकर्ता रिटायर्ड जीएम फेसबुक पर ट्रेडिंग से जुड़े एक विज्ञापन में दिए लिंक के जरिए वाट्सऐप ग्रुप में शामिल हो गए थे। वहां आरोपियों ने उन्हें इंस्टीट्यूशनल स्टॉक, ओटीसी ट्रेड, आईपीओ और ब्लॉक ट्रेडिंग के नाम पर निवेश का झांसा दिया। महज एक महीने में उनसे 1.39 करोड़ रुपए हड़प लिए गए।

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किराए पर लेते थे बैंक खाते

साइबर सेल की जांच में पता चला कि ठगों ने रकम इकट्ठा करने के लिए कई बैंक खातों का इस्तेमाल किया। कैब ड्राइवर विजय शंकर द्विवेदी के नाम पर एक करंट खाता खुलवाया गया था, जिसे 10 हजार रुपए प्रतिदिन के किराए पर लिया गया। आरोपी खाते की चेकबुक और एटीएम अपने पास रखकर रकम ट्रांसफर और कैश विदड्रॉल करते थे।

10 खातों में पहुंचाई गई ठगी की रकम

पुलिस के मुताबिक धोखाधड़ी से निकली रकम 10 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई। इसके बाद आरोपी रकम का आधा हिस्सा आपस में बांटते थे और बाकी राशि को यूएसडीटी/क्रिप्टो (USDT/Crypto) में कन्वर्ट करके विदेशी नेटवर्क तक भेज देते थे। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि महज दो महीनों में करीब 75 लाख रुपए चीनी ठगों को क्रिप्टोकरंसी में भेजे गए।

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लग्जरी कारों और मोबाइल समेत कई सामान जब्त

साइबर सेल की कार्रवाई के दौरान आरोपियों से 4 लग्जरी कारें, 16 मोबाइल, कई चेकबुक और बैंक खाते बरामद किए गए। आरोपियों को लखनऊ जेल से वारंट पर इंदौर लाकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस टीम अब इस गिरोह के बाकी नेटवर्क और विदेशी कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है।

ये लोग हुए गिरफ्तार

विजय शंकर द्विवेदी (पुत्र कामता प्रसाद बिहारीलाल द्विवेदी): स्थायी रूप से रायबरेली (उप्र) का निवासी, फिलहाल लखनऊ (विनायक खंड, गोमती नगर) और पुणे में भी पता दर्ज है।

सत्यम तिवारी (पुत्र भूपेंद्र नाथ तिवारी, निवासी सोहावा पोस्ट जैतीखेड़ा, लखनऊ): साइबर लॉ का छात्र।

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सक्षम तिवारी (पुत्र संदीप कुमार तिवारी, निवासी खालीशाहट टोला, रायबरेली): सीएस (कंप्यूटर साइंस) का छात्र।

मोहम्मद शाद (पुत्र अब्दुल कारी, निवासी लौताबाग पैसार आजाद नगर, बाराबंकी): बीटेक सिविल इंजीनियरिंग का छात्र।

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मनीष जायसवाल (पुत्र रमेशचंद्र जायसवाल, निवासी इब्राहिमपुर रोड, लखनऊ): 12वीं तक शिक्षा प्राप्त।

कृष शुक्ला (पुत्र रत्नाकर शुक्ला, निवासी जानकीपुरम कुर्सी रोड, लखनऊ): बीएससी का छात्र।

विनोद कुमार (पुत्र जगतराम जायसवाल, निवासी करदा, गोंडा): बीबीए का छात्र।

लईक अहमद (पुत्र अजीज अहमद, गोंडा निवासी): फिलहाल लखनऊ (फुलबाग कॉलोनी) में रहता है, सिविल इंजीनियरिंग का छात्र।

दिवाकर विक्रमसिंह (पुत्र भीमसिंह, निवासी बेम्हारी दुबौलिया, बस्ती): बीसीए का छात्र।

FAQs

Q. रिटायर्ड GM से ठगी का पूरा मामला क्या है?
रिटायर्ड GM फेसबुक पर ट्रेडिंग विज्ञापन देखकर एक व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़े। वहां आरोपियों ने उन्हें 490% मुनाफे का लालच दिया और इंस्टीट्यूशनल स्टॉक, आईपीओ, ओटीसी ट्रेड के नाम पर निवेश कराया। महज एक महीने में उनसे 1.39 करोड़ रुपए हड़प लिए गए।

Q. गिरफ्तार आरोपी कौन-कौन हैं और उनकी पृष्ठभूमि क्या है?
गिरफ्तार नौ आरोपी यूपी के रहने वाले हैं। इनमें बीटेक सिविल इंजीनियरिंग, बीबीए, बीसीए, एलएलबी और साइबर लॉ में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट शामिल हैं। कुछ आरोपी पढ़ाई छोड़ चुके थे जबकि कुछ पोस्टग्रेजुएशन कर रहे थे। सभी ने मिलकर ठगी की रकम का आधा हिस्सा खुद रखा और आधी राशि क्रिप्टोकरंसी के जरिए चीनी नेटवर्क तक भेजी।

Q. पुलिस जांच में ठगी का पैसा कैसे ट्रांसफर हुआ?
जांच में सामने आया कि ठगों ने कैब ड्राइवर से 10 हजार रुपए प्रतिदिन किराए पर बैंक खाता लिया। उस खाते की चेकबुक और एटीएम कार्ड अपने पास रखकर रकम ट्रांसफर और कैश विदड्रॉल करते थे। ठगी की राशि करीब 10 अलग-अलग खातों में भेजी गई और फिर उसका बड़ा हिस्सा क्रिप्टोकरंसी में कन्वर्ट करके विदेशी गिरोह तक पहुंचा दिया गया।

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