MP Criminal Justice System: मध्य प्रदेश में क्रमिनल जस्टिस सिस्टम (MP Criminal Justice System) को बहुत जल्द बुलेट स्पीड मिल सकती है। देश में मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य होगा, जो कि पुलिस, कोर्ट, हॉस्पिटल और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के बीच सूचनाओं का पूरी तरह ऑनलाइन आदान-प्रदान करने का डिजिटल सिस्टम (Digital System) तैयार करेगा।
इनमें FIR, चार्जशीट, पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट, वारंट, समन, लीगल नोटिस (Legal Notice) आदि शामिल रहेंगे। फिलहाल एक केस को पुलिस से कोर्ट तक पहुंचने में 1 महीने का समय लगता है।
क्रमिनल जस्टिस सिस्टम: ऑनलाइन तामिल होंगे वारंट और लीगल नोटिस, अभी केस डायरी को कोर्ट तक पहुंचने में लगता है 1 महीना#MPNews #LegalNotice #CriminalJusticeSystemhttps://t.co/5aOk4ejYGy
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 27, 2024
केस डायरी को कोर्ट तक पहुंचने में लगता है 1 महीना
आपको बता दें कि अभी एक केस डायरी (Case Diary) पुलिस से कोर्ट तक पहुंचने में 1 माहीने का समय लगता है। वहीं कई मामले तो ऐसे होते हैं, जिनमें 6 महीने तक की देरी होती है। नए सिस्टम बनने के बाद ये काम चंद सेकंड में होने लगेगा।
इसे लेकर हाई कोर्ट (MP High Court) ने केस मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CMIS) और पुलिस के क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवक सिस्टम (CCTNS) के बीच सभी प्रकार की इन्फॉर्मेशन को साझा करने के लिए एक एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (API) बनाने के निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट ने पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के दिए निर्देश
हाई कोर्ट ने पायलट फेज (Pilot Phase) में इंदौर, राजगढ़ और देवास में डिजिटल FIR और केस डायरी को API से ऑनलाइन भेजना शुरू करने के हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं। ये डिजिटल सिस्टम को तेज बनाते हुए केस को पुलिस से कोर्ट तक पहुंचाने में वक्त बचाएगा।
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अफसरों को दिए रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (IT-CSA) कुलदीप सिंह कुशवाह और SCBRB के ADG चंचल शेखर एक महीने अंदर रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश करेंगे।
बता दें कि इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) के जस्टिस संजीव एस. कालगांवकर ने 35 केस डायरी पेश न होने पर संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को VC के जरिए उपस्थित होने के निर्देश भी दिए थे।
साथ ही इंदौर जोन के सभी बड़े पुलिस अफसरों की सुनवाई के बाद एमपी पुलिस (MP Police) के IT विंग के प्रमुख और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार IT के सुझाव भी लिए गए।
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तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार होगा
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से प्राथमिकता के आधार पर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश SCRB को भी निर्देश दिए हैं कि वह केंद्र सरकार से ICJS 2.0 स्कीम के तहत अतिरिक्त राशि की मांग कर सकता है।
कोर्ट ने विश्ववास व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार (Central and State Government) इस काम के लिए अपेक्षित वित्तीय संसाधनों को उपलब्ध कराएंगी। इससे आपराधिक न्याय प्रणाली में तेजी से सुधार हो पाएगा।