हाइलाइट्स
- मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी।
- कांग्रेस अब 35–45 साल के युवाओं को बनाएगी जिलाध्यक्ष।
- जातीय संतुलन और 5 साल का पार्टी अनुभव चयन के लिए अनिवार्य।
MP Congress District President Selection: मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है। पार्टी अब युवा नेतृत्व को आगे लाने के लिए नए मानक तय कर रही है। वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शन मंडल में जगह मिलने की संभावना है। पार्टी का मकसद है संगठन को मजबूत बनाना और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करना। बता दें कि 3 जून को भोपाल में राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में संगठन सृजन अभियान की शुरुआत की थी।
कांग्रेस की संगठन सृजन प्रक्रिया में बदलाव
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने रविवार को 165 पर्यवेक्षकों (Congress Observers) के साथ ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की, जिसमें एमपी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार मौजूद रहे। इस बैठक में मुख्य रूप से जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के चयन पर चर्चा हुई। कांग्रेस ने हर जिले से जिला अध्यक्ष के लिए 6 नामों का पैनल बनाने का निर्णय लिया है।
45 साल से कम उम्र के युवा बनेंगे जिला अध्यक्ष
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने वर्चुअल मीटिंग में स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस जिला अध्यक्ष 35 से 45 वर्ष की उम्र के होंगे। तकनीकी रूप से सक्षम और सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, विशेष परिस्थिति में अनुभवी वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस के इस नए प्लान से अब सवाल उठता है कि कांग्रेस में सीनियर नेताओं का क्या होगा। क्या बड़े- बुजुर्ग नेताओं को मार्गदर्शन मंडल में डालने की तैयारी की जारी है?
अध्यक्ष के नाम पर चर्चा करेगी पर्यवेक्षकों की टीम
बता दें कि अब दिल्ली और भोपाल से नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों की तीन सदस्यीय टीम हर जिले में जाकर अध्यक्षों के नामों को लेकर चर्चा करेगी। अब हर जिले से कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद के लिए 6 नामों का पैनल तैयार किया जाएगा, जिसमें जातीय संतुलन, उम्र सीमा और तकनीकी दक्षता को अहमियत दी जाएगी। यह फैसला कांग्रेस की वर्चुअल बैठक में लिया गया।
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हर जिले से 6 नामों का पैनल
ऑनलाइन मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि हर जिले से जिला अध्यक्ष के लिए 6 नामों का पैनल तैयार किया जाएगा। इन 6 नामों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अल्पसंख्यक, महिला और दो अन्य वर्गों के उम्मीदवारों को शामिल किया जाएगा। जिला अध्यक्ष के चयन में जातिगत संतुलन का ध्यान रखा गया है। इस पैनल का आधार जातिगत डेटा होगा।
सोशल मीडिया पर एक्टिव नेता को प्राथमिकता
चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी की स्पष्ट सोच है कि नए जिलाध्यक्ष ऐसे हों जो टेक्नोलॉजी से जुड़े हों, सोशल मीडिया पर सक्रिय हों और कांग्रेस के विचारों को निचले स्तर तक पहुंचा सकें। 3 जून को राहुल गांधी के साथ हुई बैठक के बाद सभी ऑब्जर्वर्स को उनके जिलों का जातिगत डेटा उपलब्ध कराया गया है। यह डेटा पैनल तैयार करने में अहम भूमिका निभाएगा। जिससे सामाजिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहेगा।
ऑब्जर्वर तय समय पर करें दौरा
चौधरी ने सभी AICC और PCC पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में तय समय पर जाएं और जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित बैठक में भाग लें। वहीं कार्यकर्ताओं की राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर पैनल भेजें।
मीटिंग में पार्टी से जुड़े नेताओं को लेकर पूछे गए। जिसमें सवाल था कि क्या कोई नेता पार्टी में दो साल पहले शामिल हुआ है, तो वह जिलाध्यक्ष के लिए दावेदारी कर सकता है। इसके जवाब में चौधरी ने स्पष्ट किया कि जिला अध्यक्ष के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं को कम से कम पांच साल का पार्टी में सक्रिय योगदान होना चाहिए।
ऐसे नेता नहीं होंगे पैनल में शामिल
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी भी ऐसे नेता को जिला अध्यक्ष पैनल में नहीं लिया जाएगा, जिनके खिलाफ भितरघात या चुनावी अनुशासनहीनता की शिकायत हो। पीसीसी और एआईसीसी के ऑब्जर्वर जिलों में जाकर जमीनी स्थिति की रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह रिपोर्ट सीधे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल को भेजी जाएगी।
जिले आवंटन पर उठा विवाद
सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल ने जिले के आवंटन में पक्षपात का आरोप लगाया। इस पर हरीश चौधरी ने कहा कि यह सूची एआईसीसी से बनी है और किसी अंतर पर वे जवाबदेह हैं। बैठक में कुछ नेताओं ने यूथ कांग्रेस के चुनाव भी साथ कराने का सुझाव दिया, जिस पर चौधरी ने कहा कि इस विषय में यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के चुनाव आयोग से चर्चा की जाएगी।
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