हाइलाइट्स
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सरकारी कॉलेजों में 600 से ज्यादा अतिथि विद्वान बाहर
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नए सत्र की पढ़ाई पर पड़ेगा असर
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कई प्रोफेसर्स ने नई पोस्टिंग पर ज्वॉइन नहीं किया
MP College Teacher Shortage Atithi Shikshak: मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर्स के ट्रांसफर के कारण वहां पढ़ा रहे 600 से ज्यादा अतिथि विद्वान बाहर (फॉलन आउट) हो गए हैं। इसका सीधा असर कॉलेजों में पढ़ाई पर पड़ेगा। आज यानी 1 जुलाई से नया सत्र शुरू हो रहा है। अब तक कॉलेजों में कई प्रोफेसर्स ने नई पोस्टिंग पर ज्वानिंग नहीं की है। ऐसे में शिक्षण कार्य प्रभावित होगा।
15-20 साल पुराने गेस्ट टीचर हुए बाहर
जानकारी के अनुसार, जो अतिथि विद्वान (Guest Faculty) सेवा से बाहर हुए हैं उनमें से ज्यादातर 15-20 साल से कॉलेजों में पढ़ा रहे थे। अगर दोबारा चॉइस फिलिंग की प्रक्रिया में देरी हुई तो कॉलेजों की पढ़ाई प्रभावित होना तय है।
यहां बता दें, एमपी में ज्यादातर कॉलेज अतिथि विद्वानों के भरोसे ही चल रहे हैं। ऐसे में कॉलेजों को इंतजार है कि अतिथि विद्वान कब ज्वॉइन करेंगे।
अब फिर से च्वाइस भरना होगा
अतिथि विद्वान महासंघ के डॉ. आशीष पांडेय ने कहा कि जो अतिथि विद्वान (Guest Faculty) व्यवस्था से बाहर हो गए हैं, उनकी चॉइस भर दी गई है। अभी भी कई प्रोफेसर्स ने कॉलेज ज्वॉइन नहीं किया है। ऐसे में जो अतिथि विद्वान बाहर हुए हैं, उनके लिए जुलाई में फिर से च्वॉइस भरने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो अगस्त तक किसी न किसी कॉलेज में उन्हें समायोजित किया जा सकेगा।
अतिथि विद्वानों ने बताया कि अगर उन्हें दूसरे जिलों या दूर-दराज के कॉलेजों में भेजा गया, तो उन्हें नुकसान होगा। अभी उन्हें दो हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है। ऐसे में जिस महीने ज्यादा छुट्टियां होती हैं, तो भुगतान भी कम हो जाता है। कई बार छुट्टी वाले दिन भी उन्हें काम पर बुला लिया जाता है और उसका भुगतान नहीं किया जाता।
अतिथि विद्वानों से अन्य काम की कराए जाते हैं
असल में कॉलेजों में अतिथि विद्वानों से न सिर्फ पढ़ाई से जुड़े काम बल्कि क्लेरिकल काम भी करवाए जाते हैं। अलग-अलग परीक्षाओं में भी उनकी ड्यूटी लगाई जाती है। अतिथि विद्वानों ने बताया कि जो काम उनके दायरे में नहीं आते, वो भी प्रिंसिपल उनसे करवाते हैं। अगर वे इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें बाहर किए जाने का डर बना रहता है।
स्थायी करने और वेतन तय करने की मांग
अतिथि विद्वानों ने नियमित किए जाने और निश्चित वेतन देने की भी मांग की है। उनका कहना है कि जब पद खाली हैं, तो उन्हें उसी पर नियमित कर दिया जाना चाहिए। हर साल प्रोफेसरों के तबादलों के कारण वे फॉलेन आउट हो जाते हैं और मुश्किल से 8-9 महीने ही काम कर पाते हैं। इस बीच, उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज प्राचार्यों को भी निर्देश दिया है कि वे नए आमंत्रण की प्रक्रिया कर स्थिति को स्पष्ट करें।