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MP Collector Commissioner Conference: भावांतर योजना से किसानों को राहत, जैविक खेती, हेल्थ और शिक्षा सुधार पर CM का फोकस

MP Collector Commissioner Conference 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किसानों को भावांतर योजना से राहत देने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने की बात कही।

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Shashank Kumar
MP Collector Commissioner Conference 2025 Bhavantar Bhugtan Yojana

MP Collector Commissioner Conference 2025 Bhavantar Bhugtan Yojana

MP Collector Commissioner Conference 2025: मध्यप्रदेश में मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में दो दिवसीय कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस 2025 (MP Collector Commissioner Conference 2025) का शुभारंभ किया।

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मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी कलेक्टरों, कमिश्नरों, एसपी और वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद करते हुए कहा कि शासन और प्रशासन को “एक टीम” बनकर जनता के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि अधिकारी ड्राइविंग सीट पर आने की बजाय जनप्रतिनिधियों के सहयोगी बनें, क्योंकि जनता के बीच प्रशासन तभी भरोसेमंद बनता है जब वह संवाद और संवेदना दोनों को साथ लेकर चले।

भावांतर भुगतान योजना से किसानों को राहत

भावांतर भुगतान योजना (Bhavantar Bhugtan Yojana MP) इस कॉन्फ्रेंस की बड़ी चर्चा का विषय रही। सीएम मोहन यादव ने बताया कि राज्य में अब तक 1.5 लाख से ज्यादा किसानों ने इस योजना में पंजीकरण कराया है।

यह योजना किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिलाने के लिए शुरू की गई है। इस बार सोयाबीन का एमएसपी ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “धान और गेहूं की तरह अब सोयाबीन उत्पादक किसान भी अपने परिश्रम का उचित मूल्य पाएंगे।”

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पंजीयन प्रक्रिया 3 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 2025 तक चलेगी और 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक भावांतर भुगतान किसानों के बैंक खातों में सीधे (Direct Bank Transfer) भेजा जाएगा। राज्य में सबसे अधिक पंजीकरण इंदौर (12,207 किसान), शाजापुर (11,731) और उज्जैन (8,221) जिलों से हुए हैं। वहीं देवास, सीहोर, हरदा, राजगढ़ और मंदसौर जैसे जिलों के किसान भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। राजस्व विभाग द्वारा भूमि सत्यापन और रकबे की जांच की जा रही है ताकि केवल पात्र किसानों को ही लाभ मिले।

जैविक खेती और उद्यानिकी पर विशेष बल

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अब पारंपरिक खेती के साथ जैविक खेती (Organic Farming) को प्राथमिकता दे रही है। “स्वस्थ मिट्टी और स्वस्थ फसल ही स्वस्थ समाज की नींव हैं,” उन्होंने कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि उद्यानिकी फसलों (Horticulture Crops) जैसे गुलाब, गेंदा और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए।

गुना जिले में गुलाब की खेती के मॉडल को अन्य जिलों में भी लागू करने की बात कही गई। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत (Economic Empowerment of Farmers) होगी और ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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रात्रिविश्राम, जनसुनवाई और हेल्पलाइन पर सख्ती

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि विश्राम (Night Stay in Rural Areas) करें और जनता से सीधे संवाद स्थापित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि जनसुनवाई में लापरवाही (Public Hearing Negligence) बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline Complaints) पर आने वाली शिकायतों का निपटारा समय पर हो, ताकि जनता को शासन की संवेदनशीलता महसूस हो सके। सरकार चाहती है कि “लंबी लाइनों और देरी से लोगों को राहत मिले”- यानी डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली से जनता को सीधी सुविधा मिले।

शहरी विकास और धार्मिक पर्यटन पर भी फोकस

कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) पर सख्त कार्रवाई की जाए और गीता भवन जैसे धार्मिक स्थलों (Religious Heritage Sites) के रखरखाव व विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि “धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism) मध्यप्रदेश के आर्थिक इंजन का हिस्सा है,” और इसे मजबूत करने के लिए टूरिज्म अथॉरिटी (Tourism Authority Empowerment) को और सक्रिय किया जाएगा।

हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर पर CM का जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का नियमित निरीक्षण (Hospital Inspection) किया जाए। उन्होंने महिला एवं बाल विकास (Women & Child Development) और स्वास्थ्य विभाग (Health Department Coordination) के बीच बेहतर तालमेल पर भी जोर दिया। शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020 Implementation) के तहत शिक्षण संस्थाओं को नवाचार अपनाने चाहिए ताकि विद्यार्थी भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार हों।

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MSME और रोजगार पर सरकार का विशेष ध्यान

सीएम मोहन यादव ने कहा कि एमएसएमई (MSME Sector) और लघु-कुटीर उद्योगों (Small Scale Industries) को राज्य सरकार हर संभव सहायता देगी। उन्होंने कहा कि “ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) को सशक्त बनाना ही प्रदेश के समग्र विकास का आधार है।”

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17 विभागों की मौजूदगी, विकास योजनाओं पर समीक्षा

इस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के 17 प्रमुख विभागों- कृषि उत्पादन, नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, स्वास्थ्य, वित्त, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, औद्योगिक नीति और योजना विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कॉन्फ्रेंस में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में लागू सिवनी मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि इसे पूरे प्रदेश में एक सफल उदाहरण के रूप में अपनाया जा सकता है।

पहले दिन के सत्र में कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियाँ (Agri & Allied Activities), स्वास्थ्य और पोषण (Health & Nutrition), उद्योग, रोजगार और निवेश (Industrial Development & Employment), शहरीकरण (Urban Governance) और सुशासन (Good Governance) जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। हर विषय के लिए लगभग सवा घंटे का इंटरएक्टिव सत्र रखा गया, जिसमें जिलों के अनुभव और चुनौतियों को साझा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि “योजनाओं की सफलता कागजों पर नहीं, ज़मीन पर दिखनी चाहिए।”

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